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राहुल गांधी जिस 'हथियार' को तोप समझ रहे थे, वो पटाखा भी नहीं निकला, राफेल पर फैसले के साइड इफेक्‍ट

Rafale Deal : मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का सबसे बड़ा हथियार भोथड़ा (धार कुंद होना) साबित हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर मोदी सरकार को क्‍लीनचिट दे दी है.

Updated on: 14 Nov 2019, 01:48 PM

नई दिल्‍ली:

मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का सबसे बड़ा हथियार भोथड़ा (धार कुंद होना) साबित हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर मोदी सरकार को क्‍लीनचिट दे दी है. विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को सबसे बड़े हथियार के रूप में पेश किया था. तमाम-आरोप प्रत्‍यारोप लगे, दावे-प्रतिदावे किए गए. पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मोदी सरकार को क्‍लीन चिट दे दी थी. उसके बाद याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. अब उस मामले में भी सीजेआई की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है. इसके साथ ही राहुल गांधी को सोच-समझकर बोलने को कहा गया है. वहीं राहुल गांधी के खिलाफ चल रहा अवमानना का केस भी समाप्‍त हो गया है. आइए जानते हैं राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्‍या असर होगा:

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1. मोदी सरकार पर उठ रहे सवालों पर लगेगा विराम
राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है. लोकसभा चुनाव के समय राफेल डील में भ्रष्‍टाचार का मुद्दा उछालते हुए विपक्ष खासकर राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए थे. राहुल गांधी के अलावा, विपक्ष के अन्‍य नेताओं ने भी बीजेपी पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाए थे. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मोदी सरकार पर उठ रहे सवालों पर विराम लगेगा. विपक्ष बिना सोचे-समझे आरोप लगाने से भी बचेगा.

2. कांग्रेस के कैंपेन को झटका लगा
लोकसभा चुनाव से पहले से कांग्रेस ने राफेल डील में कथित भ्रष्‍टाचार का मुद्दा उछाला था. तत्‍कालीन कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने तो पीएम नरेंद्र मोदी को चोर भी कह डाला था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें राहुल गांधी को सोच-समझकर बोलने की नसीहत दी गई है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस खासकर राहुल गांधी को मोदी सरकार पर आरोप लगाने से पहले उसकी परख करनी जरूरी होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के आरोपों की विश्‍वसनीयता को भी बड़ा धक्‍का लगा है. अब कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ बिना सोचे-समझे कोई मुद्दा उछालने से बचेगी.

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3. विपक्ष को ढूंढने होंगे नए मुद्दे
सुप्रीम कोर्ट से राफेल डील पर पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को अब नए मुद्दों की तलाश करनी होगी. मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान विपक्ष कोई भी कारगर मुद्दा खोज नहीं पाया, जिस पर वह सरकार पर हमलावर हो. राफेल डील में कथित भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाने वाली कांग्रेस अब मुंह की खा चुकी है, लिहाजा अब सरकार के खिलाफ कोई गंभीर और नए मुद्दों की तलाश करनी होगी, जो आसान नहीं होगा. विपक्ष अब तक लव जिहाद, मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने के भी आरोप लगाता रहा है, लेकिन इसे भुना नहीं पाया है. विपक्ष के अन्‍य बड़े हथियार जीएसटी और नोटबंदी पर भी लोगों ने विपक्ष का साथ नहीं दिया. राहुल गांधी ने तो गुजरात चुनाव से पहले जीएसटी को गब्‍बर सिंह टैक्‍स करार दिया था, लेकिन इसका फायदा चुनाव में नहीं मिला था.

4. आक्रामक होगी बीजेपी
राफेल पर क्‍लीनचिट मिलने के बाद से बीजेपी और मोदी सरकार और अधिक आक्रमक अंदाज में पेश आएगी. इसका अंदाजा तभी चल गया, जब फैसला आने के तुरंत बाद सूचना आई कि मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रेस कांफ्रेंस करेंगे. मोदी सरकार विपक्ष पर और अधिक हमलावर होगी. सरकार की ओर से रविशंकर प्रसाद के बाद बीजेपी की ओर से भी इस पर बयान दिया जा सकता है. सरकार के मंत्री विपक्ष खासकर कांग्रेस पर हावी होने की कोशिश करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस रक्षात्‍मक मुद्रा में होगी, यह तय है. फैसले के बाद अभिषेक मनु सिंघवी की प्रतिक्रिया से यह साफ हो गया.

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5. विधानसभा चुनाव में बीजेपी भुनाएगी मुद्दा
राफेल डील पर फैसले के तुरंत बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहां चुनाव प्रचार में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी विपक्ष खासकर कांग्रेस पर हमलावर रुख अपना सकते हैं. राज्‍य के विधानसभा चुनाव में पार्टी इस मुद्दे को भुना सकती है. बीजेपी राहुल गांधी द्वारा इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी को कहे गए अपशब्‍दों को लेकर सहानुभूति बटोरने की भी कोशिश करेगी.