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मोदी सरकार (Modi Sarkar) से जनता खुश नहीं, विदेशी मीडिया से बोले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी

जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) का मुद्दा उठाते हुए मनीष तिवारी (Manish Tiwari) ने कहा, अगर भारत (India) की बात करें तो कश्मीर पर आवाज बुलंद करने वाले 42 बुद्धिजीवियों के ऊपर बिहार में केस दायर किया गया.

Updated on: 07 Nov 2019, 11:22 AM

नई दिल्‍ली:

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी (Manish Tiwari) ने विदेशी मीडिया से बात करते हुए मोदी सरकार पर करारा हमला बोला. इस दौरान मनीष तिवारी ने पूरी दुनिया की बात करते हुए कहा कि दक्षिणपंथी सत्ता के चलते विश्व को नुकसान हो रहा है और लोकतांत्रिक मूल्य (Democratic Value) कमजोर पड़ रहे हैं. ऐसे में कोर्ट का रुख महत्वपूर्ण हो जाता है. ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन (EU) से बाहर जाने के जनमत संग्रह (Referendom) के बाद संसद भंग करने की सिफारिश की थी, लेकिन हाईकोर्ट के कई विरोधी फैसलों के बाद यूनाइटेड किंग्डम (UK) की सर्वोच्च न्यायालय (United Kingdom) ने संसद भंग करने वाले आदेश को खारिज कर दिया. इसी तरह से वॉटरगेट स्कैंडल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन और तरकी समेत फिलिपिंस का उदाहरण भी है.

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जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) का मुद्दा उठाते हुए मनीष तिवारी ने कहा, अगर भारत की बात करें तो कश्मीर पर आवाज बुलंद करने वाले 42 बुद्धिजीवियों के ऊपर बिहार (Bihar) में केस दायर किया गया, फिर कोर्ट की दखल के बाद ही उन्हें राहत मिल पाई. अमेरिका की ट्रंप सरकार पर भी मनीष तिवारी ने निशाना साधा.

विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बात करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ है. हरियाणा में गठबंधन की सरकार इसलिए बन गई, क्योंकि उनके बाप दादा जेल में है और पैरोल को भी राजनीति की हथियार के लिए इस्तेमाल किया गया. खुद बीजेपी गठबंधन में सहयोगी दल का दर्जा रहने वाली शिवसेना ने कहा कि हमारे नेता जेल में नहीं है इसलिए महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही बनेगा.

विधानसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों से यह साफ हो जाता है कि जनता खुश नहीं है. आम चुनाव के वक्त भी देश की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में थी ,पर लोग इस कदर परेशान नहीं थे जितने आज है, इसलिए अब जनता की नाराजगी साफ साफ नजर आने लगी है.

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मनीष तिवारी ने अर्थव्यवस्था को सरकार के लिए सबसे बड़ा संकट करार दिया और कहा कि मौजूदा मंदी के पीछे नोटबंदी और जीएसटी जैसे सरकार के गलत फैसले हैं. यूपीए सरकार के दौरान औसत वृद्धि दर 7-8% के आसपास की और वह भी तब जब वैश्विक मंदी, पेट्रोलियम के ऊंचे दाम थे. उस वक्त हमारी सरकार की आधारभूत तंत्र और नीतियां बहुत मजबूत थी.

चीन से मुक्त व्यापार संधि पर बात करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि हमने मुक्त व्यापार की संधियां तब साइन की थी, जब देश की अर्थव्यवस्था 9% की विकास दर से आगे बढ़ रही थी और उससे ठीक 1 साल पहले 2008 में वैश्विक मंदी की चपेट में दुनिया की अर्थव्यवस्था में थी. सरकार के पास ही अधिकार है कि वह पहले की सरकार की आर्थिक नीतियों का विश्लेषण करें, पर उन्हें संधियों के ऊपर पुरानी सरकार की विफलताओं की बात करनी चाहिए. मुझे लगता है कि मुक्त व्यापार पर चीन की शर्तों को मोड़ने में मौजूदा सरकार विफल रही है.

आपातकाल को लेकर मनीष तिवारी ने कहा कि वह दौर गलत था, लेकिन वह 40-50 साल पहले की बात थी, हमने उसकी गलती मानी है, लेकिन हमारे आपातकाल की बात करके मौजूदा सरकार संवैधानिक संस्थाओं पर अतिक्रमण करके उसे सही साबित नहीं कर सकती है.

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नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर एक सवाल के जवाब में मनीष तिवारी ने कहा, करतारपुर कॉरिडोर का खुलना किसी एक व्यक्ति से जोड़कर या उस एक व्यक्ति की सफलता और विफलता से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.

मौजूदा मोदी सरकार की विदेश नीति पर निशाना साधते हुए मनीष तिवारी ने कहा, 2014 में मोदी के शपथ गृहण के समय यह कोशिश की गई थी कि पड़ोसी देशों से संबंध अच्छे किए जाएं, लेकिन अब भारत के पड़ोसी देशों से संबंध सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. यहां तक कि अफ्रीका के देशों से भी भारत के संबंध अच्छे नहीं चल रहे. हालांकि मनीष तिवारी के जवाब पर असहमति जाहिर करते हुए एक पत्रकार ने कहा कि कांग्रेस की तुलना में बीजेपी सरकार में अफ्रीकी देशों से भारत के रिश्ते बेहतर हुए हैं.

मनीष तिवारी ने झारखंड विधानसभा चुनाव के चरणों पर निशाना साधते हुए कहा कि इतने चरणों में चुनाव कराना ठीक नहीं है. ऐसा लगता है कि इतने चरणों में इसलिए विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं ताकि बीजेपी को फायदा पहुंचाया जा सके. हालांकि विदेशी पत्रकारों ने मनीष तिवारी पर पलटवार करते हुए पूछा कि देश की अर्थव्यवस्था इतनी खराब दौर से गुजर रही है तो इसका फायदा भी कांग्रेस क्यों नहीं उठा पा रही.

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कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र पर निशाना साधते हुए कुछ विदेशी पत्रकारों ने कहा, कांग्रेस में आंतरिक स्वतंत्रता नजर नहीं आती. पूरी पार्टी गांधी परिवार के आसपास घूमती हुई नजर आती है. इस पर मनीष तिवारी ने कहा, कांग्रेस में चुनाव पार्टी के संविधान के तहत होते हैं. 1999 में सीताराम केसरी, 2001 में सोनिया गांधी को भी चुनाव में विपक्ष का सामना करना पड़ा था. सोनिया गांधी के चलते पार्टी लगातार दो बार सत्ता में रही. बीते तीन दशकों से कांग्रेस में भारत का कोई भी प्रधानमंत्री नेहरू गांधी परिवार से नहीं है . 1989 में आखिरी गांधी परिवार के पीएम राजीव गांधी थे.