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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊज्जवला स्कीम से आई गरीब महिलाओं की बीमारी दर में गिरावट

गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना उज्ज्वला न सिर्फ महिलाओं को खासी राहत पहुंचा रही है

Updated on: 26 Jun 2019, 08:36 PM

highlights

  • ऊज्जवला योजना से गरीब महिलाओं को लाभ
  • गरीब महिलाओं की बीमारियों में आई कमी
  • पीएम मोदी ने चलाई थी ऊज्जवला योजना

नई दिल्‍ली:

गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना उज्जवला को लेकर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. उज्ज्वला की वजह से पिछले दो सालों में ग्रामीण इलाकों की गरीब महिलाओं की बीमारी दर में गिरावट आई है. सबसे ज़्यादा बदलाव फेफड़े और सांस से जुडी टीबी - दमा व दूसरी बीमारियों में हुआ है. प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्रोफ़ेसर डा० तारिक महमूद द्वारा इस बारे में अमेरिका में पेश किये गए रिसर्च के मुताबिक़ उज्ज्वला के तहत गैस कनेक्शन मिलने के बाद ग्रामीण महिलाएं लकड़ी -कंडी व राठ के धुंए से बच रही हैं और यही उन्हें बीमार होने से बचाने में सबसे बड़ा सबब भी बन रहा है. 

गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना उज्ज्वला न सिर्फ महिलाओं को खासी राहत पहुंचा रही है, बल्कि तमाम बीमारियों से निजात दिलाते हुए उन्हें सेहतमंद भी बना रही है. अमेरिका के टेक्सास शहर में पेश किये गए रिसर्च के मुताबिक़ ग्रामीण इलाके की गरीब महिलाओं में बीमारी की सबसे बड़ी वजह धुंआ होता है. लकड़ी - कंडी और राठ पर खाना बनाने के दौरान निकलने वाला धुंआ कई बार धूम्रपान से भी ज़्यादा खतरनाक होता है. खासकर फेफड़े और सांस से होने वाली ज़्यादातर बीमारियां इसी धुंए की वजह से ही होती हैं.

प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्रोफ़ेसर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. तारिक महमूद द्वारा की गई रिसर्च में यह पाया गया कि दो साल पहले तक ग्रामीण इलाके की 89 फीसदी गरीब महिलाएं लकड़ी -गोबर से तैयार कंडी व राठ से खाना बनाती थीं. इनमे से तमाम महिलाएं अब उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन पा चुकी हैं. गैस के इस्तेमाल से उन्हें न सिर्फ सहूलियत हो रही है. उनका वक्त बच रहा है, बल्कि उनमे होने वाली फेफड़े व सांस की बीमारियां भी तेजी से कम हो रही हैं. डा० तारिक महमूद ने पहले चरण में चार सौ महिलाओं पर रिसर्च किया और उसके बाद उनका काम ग्रामीण इलाके की गरीब व औसत आय वाली पांच हजार महिलाओं पर चल रहा है. उन्होंने अपनी रिसर्च के आधार पर अमेरिका में जो शोधपत्र पेश किया है, उसके मुताबिक़ पिछले दो सालों में ग्रामीण इलाके की गरीब महिलाओं में फेफड़े व सांस से जुडी बीमारियों में दस फीसदी की कमी आई है. इसके साथ ही धुंए से दूर रहने की वजह से वह तेजी से ठीक भी हो रही हैं. उनकी रिसर्च के यह आंकड़े खुद मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से संबद्ध प्रयागराज के एसआरएन हॉस्पिटल में भी देखने को मिल रहे हैं. 

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ग्रामीण इलाके की गरीब महिलाओं पर रिसर्च करने वाले डा० तारिक महमूद के मुताबिक़ ये आंकड़ा तो शुरुआती है. उज्जवला योजना के तहत जब तमाम दूसरी महिलाओं को गैस कनेक्शन मिल जाएंगे और वह लकड़ी व कंडी से पूरी तरह निजात पाने लगेंगी तो फेफड़े व सांस की बीमारी से परेशान महिलाओं की संख्या पचास फीसदी तक कम हो सकती हैं. उनके मुताबिक़ धुंए की वजह से महिलाओं में सिर्फ फेफड़े से जुडी बीमारियां ही नहीं, बल्कि कैंसर जैसे कई दूसरे गंभीर रोग भी होते हैं. शोधकर्ता डा० तारिक महमूद ने अमेरिका में पेश की गई अपनी रिसर्च में साफ़ तौर पर कहा है कि ग्रामीण इलाके में रहने वाली भारतीय महिलाओं की सेहत को लेकर पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना उज्जवला क्रांतिकारी कदम हो सकती है और आने वाले दिनों में इसके चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिल सकते हैं. उन्होंने अपनी रिसर्च में पीएम मोदी के विजन को एतिहासिक और दूरगामी नतीजे देने वाला बताया है.

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में एक मई 2016 को गरीब महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जाने की शुरुआत की थी. इसके तहत पिछले तीन सालों में अब तक छह करोड़ से ज़्यादा महिलाओं को कनेक्शन दिया जा चुका है. इसका सबसे ज़्यादा फायदा ग्रामीण इलाके की महिलाओं को मिला है. प्रयागराज के प्रोफ़ेसर डा० तारिक महमूद की उज्जवला योजना के बाद महिलाओं की सेहत को लेकर की गई रिसर्च इस योजना की लोकप्रियता में न सिर्फ चार चांद लगा सकती है, बल्कि इसे मील का पत्थर बनाने में भी मददगार साबित हो सकती है.