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पीएम मोदी के निर्देश के बाद फेक न्यूज की गाइडलाइंस को सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने वापस लिया

भारत सरकार ने फर्जी खबरों (फेक न्यूज) का प्रचार-प्रसार करने पर पत्रकारों की मान्यता को स्थाई तौर पर खत्म करने वाली प्रेस रिलीज को वापस लेने का फैसला किया है।

Updated on: 03 Apr 2018, 04:42 PM

highlights

  • पीएम मोदी ने निर्देश दिया कि गाइडलाइंस को वापस ली जाय
  • फेक न्यूज फैलाने पर पत्रकारों की मान्यता को स्थाई तौर पर खत्म करने का था प्रावधान
  • कांग्रेस ने कहा था कि पत्रकारों को परेशान करने के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल हो सकता है

नई दिल्ली:

भारत सरकार ने फर्जी खबरों (फेक न्यूज) का प्रचार-प्रसार करने पर पत्रकारों की मान्यता को स्थाई तौर पर खत्म करने वाली प्रेस रिलीज को वापस लेने का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने जारी गाइडलाइंस को वापस ले लिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को फेक न्यूज को लेकर सोमवार को सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को वापस लेने का निर्देश दिया था।

मंत्रालय के जारी गाइडलाइंस के घंटों बाद ही पीएम मोदी ने निर्देश दिया कि इसे वापस लिया जाएगा और फेक न्यूज के मामले सिर्फ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिये निपटाया जाएगा।

बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर पत्रकारों के विरोध के बाद प्रधानमंत्री ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के द्वारा जारी इस गाइडलाइंस को वापस लेने का निर्णय लिया।

बता दें कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पत्रकारों की संशोधित गाइडलाइंस जारी की थी जिसके मुताबिक अगर फेक न्यूज के प्रकाशन या प्रसारण में किसी को पाया जाता है तो पहली बार उल्लंघन करने पर 6 महीने के लिए उसकी मान्यता रद्द की जाएगी।

वहीं दूसरी बार फर्जी खबरों को किए जाने पर पत्रकार की मान्यता एक साल तक के लिए निलंबित कर दी जाएगी। मंत्रालय के अनुसार तीसरी बार ऐसा किए जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थाई तौर पर खत्म कर दी जाएगी।

गाइडलाइंस के मुताबिक फर्जी खबरों की जांच के लिए प्रिंट मीडिया के मामले प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मामले न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के पास भेजा जाएगा। मंत्रालय ने कहा था कि इन एजेंसियों के द्वारा जांच 15 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी।

इस गाइडलाइंस में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि एक बार शिकायत दर्ज हो जाने के बाद जब तक उसकी जांच होगी तो जिसने उसे चलाया या फैलाया, उसकी मान्यता तब तक के लिए रद्द की जाएगी।

केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने सवाल उठाते हुए कहा था कि क्या सरकार का फेक न्यूज को जांचने का यह प्रयास उन पत्रकारों पर रोक लगाना तो नहीं है जो सत्ता विरोधी रिपोर्टिंग करते हैं।

उन्होंने कहा कि किसी न्यूज रिपोर्ट को 'फेक' कौन बताएगा। और कहा कि ये नियम पत्रकारों को परेशान करने के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल भी हो सकता है।

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