राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन
इस बिल्डिंग के भीतर 15 लाख 40 हजार वर्ग फीट जगह उपलब्ध है.
highlights
- राष्ट्रपति कोविंद ने किया SC की नई बिल्डिंग का उद्घाटन
- नई बिल्डिंग पुरानी बिल्डिंग से रहेगी लिंक अप
- अब SC अपने फैसलों को 9 भाषाओं में वेबसाइट पर डालेगा
नई दिल्ली:
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के लिए एक नई एडिशनल बिल्डिंग का उद्घाटन किया है. 12.19 एकड़ में बनी इस नई इमारत में पांच ब्लाॅक हैं जिसे भूमिगत रास्ते के जरिए पुरानी इमारत से जोड़ा गया है. सुप्रीम कोर्ट का प्रशासनिक काम, मुकदमों की फाइलिंग, कोर्ट के आदेशों की कापियां लेने आदि सभी काम इस नई बिल्डिंग में होंगी इसकी लागत 885 करोड़ रु. आई है. सुप्रीम कोर्ट के नए विस्तार परिसर की खासियत हैं. इससे 1400 किलोवॉट सौर उर्जा तैयार की जाएगी इसमें से 40% खुद के इस्तेमाल में खर्च की जाएगी. दिल्ली-एनसीआर में इतनी ज्यादा मात्रा में सोलर पावर पैदा करने वाली अभी तक कोई भी सरकारी इमारत नहीं है.
इसके अलावा इस इमारत में 825 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इस इमारत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग से एक लाख लीटर पानी का संचय किया जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय की ये नई बिल्डिंग में 885 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई है. इस बिल्डिंग के भीतर 15 लाख 40 हजार वर्ग फीट जगह उपलब्ध है. सुप्रीम कोर्ट की यह नई बिल्डिंग सर्वोच्च न्यायालय के पास सड़क के दूसरी और बनाई गई है.
उद्घाटन के बाद राष्ट्रपति को बताया गया कि उनकी इच्छानुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का 9 भाषाओं मे अनुवाद किया जाएगा. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सौ फैसलों का अनुवाद हो चुका है. ये सभी फैसले 9 भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगे. जस्टिस एस ए बोबडे ने ट्रांसलेशन की कॉपी को रिलीज किया, इसकी कॉपी को राष्ट्रपति को सौंप दिया. आपको बता दें कि साल 2017 में ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ही सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में भी मुहैया कराए जाने का विचार रखा था.
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इस मौके पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'सरकार अप्रासंगिक हो चुके कई कानूनों को वापस लेने वाली है. निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति के लिए ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विसेज बनाना चाहिए.' चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग के उद्घाटन के मौके पर कहा कि इस नई बिल्डिंग के उद्घाटन से इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी होगी, पर संस्थान के भविष्य के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स को आत्ममंथन की ज़रूरत हमेशा रहेगी.
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