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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदूषण पर दिया अटपटा बयान, पर्यावरणविदों ने की अलोचना

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी भारतीय अध्ययन से नहीं दिखता कि प्रदूषण का लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.

Updated on: 07 Dec 2019, 02:00 AM

दिल्ली:

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी भारतीय अध्ययन से नहीं दिखता कि प्रदूषण का लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. उनके इस बयान की देश भर के पर्यावरण विशेषज्ञों ने कड़ी आलोचना की जिन्होंने इसे ‘‘बिना सोचा-समझा’’ बयान करार दिया. इससे पहले लोकसभा में एक सवाल के जवाब में जावड़ेकर ने कहा कि भारत में किसी भी अध्ययन से पता नहीं चलता है कि प्रदूषण का संबंध जीवन के छोटा होने से है.

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में कहा, ‘हमें लोगों के बीच भय का माहौल नहीं बनाना चाहिए.’ विश्व स्वास्थ्य संगठन, लांसेट, विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र तथा अन्य संगठनों की तरफ से कराए गए कई अध्ययनों से पता चलता है कि देश में प्रदूषण के कारण मौतें हो रही हैं. लांसेट की तरफ से पिछले वर्ष कराए गए अध्ययन के मुताबिक, भारत में 2017 में आठ में से एक मौत प्रदूषण के कारण हुई. सीएसई की तरफ से कराए गए एक अन्य अध्ययन में पता चला कि भारत में प्रति वर्ष वायु प्रदूषण के कारण पांच वर्ष से कम उम्र के एक लाख बच्चों की मौत हो जाती है.

बयान के लिए मंत्री की आलोचना करते हुए पर्यावरणविदों ने कहा कि यह ‘‘स्तब्धकारी’’ और निंदनीय है. पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल ने कहा, ‘‘यह वास्तव में निराशाजनक है. ऐसे समय में जब राष्ट्रीय राजधानी में हम प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, इस तरह के बयान से हमें चोट पहुंचती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के बयानों की सभी स्तरों पर निंदा होनी चाहिए चाहे संसद के अंदर हो या बाहर.’’

समुद्र एवं क्रायोस्फेयर पर आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुख्य शोधकर्ता अंजल प्रकाश ने इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक शोध से पता चलता है कि प्रदूषण का असर स्वास्थ्य पर पड़ता है. ग्रीनपीस इंडिया के अविनाश चंचल ने भी कहा कि पर्यावरण मंत्री को इस तरह के बयान देकर संसद और भारत के लोगों को शर्मिंदा नहीं करना चाहिए.