कुमारस्वामी सरकार के भविष्य पर सोमवार को फैसला होने की संभावना
कुमारस्वामी और कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय में इस बात का आरोप लगाया था कि राज्यपाल ने उस वक्त विधानसभा की कार्यवाही में हस्तक्षेप किया.
highlights
- कर्नाटक में जारी है सियासी संकट
- सोमवार को हो सकता है कर्नाटक का समाधान
- अब तक 16 विधायक दे चुके हैं इस्तीफा
नई दिल्ली:
कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) सरकार रहेगी या जाएगी, इस पर सोमवार को विधानसभा में फैसला होने की संभावना है. वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने भरोसा जताया है कि यह (सोमवार) कुमारस्वामी सरकार का आखिरी दिन होगा. दरअसल, गठबंधन के विधायकों के इस्तीफों के बाद एच डी कुमारस्वामी नीत सरकार ने 19 जुलाई को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई दो समय-सीमाओं का पालन नहीं किया था. मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाये गए विश्वास प्रस्ताव पर गठबंधन सरकार के चर्चा खींचने की अब भी कोशिशें करने की खबरों और उच्चतम न्यायालय से कोई ना कोई राहत मिलने की उम्मीद के बीच कांगेस तथा जद(एस) बागी विधायकों का समर्थन वापस हासिल करने के लिए अब तक प्रयासरत हैं.
कुमारस्वामी और कांग्रेस ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का रूख कर आरोप लगाया था कि राज्यपाल ने उस वक्त विधानसभा की कार्यवाही में हस्तक्षेप किया, जब विश्वास मत पर चर्चा चल रही थी. साथ ही, उन्होंने 17 जुलाई के शीर्ष न्यायालय के आदेश पर भी स्पष्टीकरण मांगा है. आदेश में कहा गया था कि बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. शुक्रवार को दोपहर डेढ़ बजे की समय सीमा और विश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया शुक्रवार तक संपन्न करने की समय सीमा को नजदअंदाज किए जाने के बाद विधानसभा की कार्यवाही सोमवार के लिए स्थगित कर दी गई थी. सत्तारूढ़ गठबंधन ने समय सीमा का निर्देश देने की राज्यपाल की शक्तियों पर सवाल उठाया है और कुमारस्वामी ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का उल्लेख किया है, जिसके मुताबिक राज्यपाल विधायिका के लोकपाल के रूप में काम नहीं कर सकता है.
विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने शुक्रवार को सदन की कार्यवाही स्थगित करने से पहले गठबंधन से यह वादा लिया था कि विश्वास मत सोमवार को निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी स्थिति में इसे और अधिक नहीं टाला जाए. विश्वास प्रस्ताव पर सत्तापक्ष द्वारा अपने विधायकों की लंबी सूची को बोलने का मौका दिये जाने पर जोर दिया है और चर्चा पूरी होनी बाकी है, ऐसे में राजनीतिक गलियारों में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या सोमवार को विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा और क्या सरकार इस प्रक्रिया को और नहीं टालने के अपने वादे को पूरा करेगी. यदि सत्तारूढ़ गठबंधन सोमवार को भी इसे टालने की कोशिश करती है तो फिर सारी नजरें राज्यपाल के अगले कदम पर होंगी. विश्वास प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रिया को सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा पूरा करने में की जा रही देर को बागी विधायकों को कांग्रेस-जद(एस) के मनाने की आखिरी पल तक की जा रही कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
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सूत्रों के मुताबिक इस सिलसिले में कोशिशें की गई हैं लेकिन इसका कुछ ज्यादा लाभ अब तक नहीं मिल पाया है क्योंकि बागी विधायकों का दावा है कि उनमें से 13 एकजुट हैं और अपने इस्तीफे पर दृढ़ हैं तथा उनके लौटने का सवाल ही नहीं उठता है. इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने रविवार को भरोसा जताया कि ‘सोमवार’ कुमारस्वामी नीत सरकार का आखिरी दिन होगा. येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं आश्वस्त हूं कि कल(सोमवार) कुमारस्वामी सरकार का आखिरी दिन होगा.’ उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ गठबंधन अनावश्यक रूप से वक्त जाया कर रहा है जबकि उसे पता है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को जारी किए गए व्हिप का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि मुंबई में ठहरे हुए 15 विधायकों को किसी भी सूरत में विधानसभा के मौजूदा सत्र में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जाए.’
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह उन पर (विधायकों पर) निर्भर है कि वे इसमें (सत्र में) शामिल होना चाहते हैं या नहीं.’ उन्होंने कहा कि इस स्थिति में व्हिप का कोई महत्व नहीं रह जाता, जो सत्तारूढ़ पार्टी भी जानती है. वहीं, भाजपा ने अपने विधायकों को एकजुट रखने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है और उसने सोमवार तक देखो और इंतजार करो की नीति अपनाई है. भाजपा सूत्रों ने बताया कि यदि शक्ति परीक्षण में और देर होती है तो इससे राजनीतिक गतिरोध बढ़ेगा जिससे भगवा पार्टी राज्यपाल का रूख करने को मजबूर होगी और यहां तक कि वह इसमें हस्तक्षेप के लिए शीर्ष न्यायालय का भी रूख कर सकती है. येदियुरप्पा ने पहले ही दावा किया है कि कांग्रेस- जद (एस) गठबंधन के पास महज 98 विधायक हैं और वह बहुमत खो चुका है. जबकि भाजपा के पास 106 विधायक हैं और वह एक वैकल्पिक सरकार के गठन के लिए सहज स्थिति में है. करीब 16 विधायकों में कांग्रेस के 13 और जद(एस) के तीन विधायकों ने इस्तीफा दिया है. जबकि दो निर्दलीय विधयकों ने भी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और वे अब भाजपा का समर्थन कर रहे हैं.
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