logo-image

पुलिस ने किया सेक्स रैकेट का भंडाफोड, कद-काठी के हिसाब से लगती थी लड़की की बोली

इसके साथ ही फ्लैट पर जिस्मफरोशी के धंधे के लिए लायी गयी एक युवती को पुलिस ने मुक्त भी कराया है.

Updated on: 10 Sep 2019, 06:18 PM

नई दिल्ली:

बिहार पुलिस ने एक ऑनलाइन सेक्स रैकेट चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पाटलिपुत्र थाने की पुलिस ने नेहरूनगर के ग्रैंड अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर डी-8 में चल रहे सेक्स रैकेट की संचालिका रानी थापा, उसके पति सुजीत कुमार, ग्राहक सुनील कुमार को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही फ्लैट पर जिस्मफरोशी के धंधे के लिए लायी गयी एक युवती को पुलिस ने मुक्त भी कराया है. जानकारी देते हुए थानेदार कमलेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि यह पता लगाया जा रहा है कि यह फ्लैट किसका है.

सेक्स रैकेट के अड्डे पर हाई प्रोफाइल लोग के आने की भी बात कही जा रही है. गूगल के माध्यम से रैकेट का सरगना सुजीत यहां ग्राहकों को लाता था. उसने इंटरनेट पर अपना नंबर दे रखा था, जिस पर ग्राहक उसे कॉल करते थे. खाते में रुपये डलवाने के बाद वह ग्राहकों को अपार्टमेंट तक बुलवाता था.

यह भी पढ़ें- ताज़िया के जुलूस में दिखा राष्ट्रवाद का रंग, तिरंगे के साथ नजर आया पृथ्वी मिसाइल का मॉडल

लड़की की कद-काठी के आधार पर रुपए वसूलता था माफिया

सेक्स रैकेट माफिया लड़कियों की सुंदरता व कद-काठी के आधार पर ग्राहकों से रुपये वसूलता था. पांच से लेकर 20 हजार रुपये तक लिये जाते थे. जिन ग्राहकों को माफिया पहले से जानता था, उन्हें कॉल गर्ल को बाहर भी ले जाने की इजाजत थी. इसके लिए अतिरिक्त रुपये वसूले जाते थे.

वहीं जांच में एक और बात भी सामने आई है कि रैकेट के माफिया की पत्नी ट्रेन व बसों में लड़कियों को नौकरी लगवाने का झांसा देकर जिस्मफरोशी के अड्डे तक ले आती थी. मुक्त कराई गई लड़की ने बताया कि उसकी मुलाकात रानी थापा से ट्रेन में हुई थी. वह झूठ बोलकर उसे यहां तक ले आयी.

माफिया के मोबाइल में कई कॉल गर्ल के नंबर

माफिया सुजीत कुमार के मोबाइल में कई कॉल गर्ल और ग्राहकों के नंबर पुलिस को मिले हैं. उसमें कॉल गर्ल की तस्वीर भी है. पुलिस की मानें तो वाट्स एप पर किया गया चैट यह प्रमाणित करता है कि सुजीत जिस्मफरोशी का धंधा कई दिनों से चला रहा था.

वाट्स एप पर भेजी जाती थी कॉल गर्ल की तस्वीर

सेक्स रैकेट माफिया वाट्स एप पर कॉल गर्ल की तस्वीर ग्राहकों को भेजा करता था. जिस नंबर से वह तस्वीरों को भेजता था, उसी को उसने इंटरनेट पर भी डाल रखा था. तस्वीर भेजने और ग्राहक की हरी झंडी मिलने के बाद ही आगे की जानकारी उन्हें दी जाती थी.