आर्टिकल 370 हटने के बाद बोले PM नरेंद्र मोदी, जम्मू-कश्मीर हमारे देश का मुकुट है
अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई है.
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर ऐतिहासिक फैसले के बाद देश को संबोधित कर रहे हैं. देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई है. पीएम मोदी ने कहा, एक राष्ट्र के तौर पर, एक परिवार के तौर पर, आपने, हमने, पूरे देश ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. एक ऐसी व्यवस्था, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे, जो उनके विकास में बड़ी बाधा थी, वो हम सबके प्रयासों से अब दूर हो गई है. जो सपना सरदार पटेल का था, बाबा साहेब अंबेडकर का था, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का था, अटल जी और करोड़ों देशभक्तों का था, वो अब पूरा हुआ है. अब देश के सभी नागरिकों के हक़ और दायित्व समान हैं.
समाज जीवन में कुछ बातें, समय के साथ इतनी घुल-मिल जाती हैं कि कई बार उन चीजों को स्थाई मान लिया जाता है. अनुच्छेद 370 के साथ भी ऐसा ही भाव था. उससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहनों की जो हानि हो रही थी, उसकी चर्चा ही नहीं होती थी. 6 अगस्त, 2019 देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया, जब भारत की एकता और अखंडता को पुनर्स्थापित करने के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का संकल्प संसद से पारित हुआ. देखिए, भाजपा के 'एक भारत के संकल्प' की यात्रा जो हमेशा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रही.
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हमारे देश में कोई भी सरकार हो, वो संसद में कानून बनाकर देश की भलाई के लिए कार्य करती है. किसी भी दल या गठबंधन की सरकार हो, ये कार्य निरन्तर चलता रहता है. कानून बनाते समय काफी बहस होती है उसकी आवश्यकता को लेकर गंभीर पक्ष रखे जाते हैं. इस प्रक्रिया से गुजरकर जो कानून बनता है,वो पूरे देश के लोगों का भला करता है. लेकिन कोई कल्पना नहीं कर सकता कि संसद इतनी बड़ी संख्या में कानून बनाए और वो देश के एक हिस्से में लागू ही नहीं हों. देश के अन्य राज्यों में सफाई कर्मचारियों के लिए सफाई कर्मचारी एक्ट लागू है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के सफाई कर्मचारी इससे वंचित थे.
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देश के अन्य राज्यों में दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए सख्त कानून लागू है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में ऐसे कानून लागू नहीं होते थे. जो पहले की सरकारें कानून बनाकर वाहवाही लूटती थीं, वो भी ये दावा नहीं कर पाती थीं कि उनका कानून जम्मू कश्मीर में भी लागू होगा. उन कानूनों के लाभ से जम्मू कश्मीर के लोग वंचित रह जाते थे. शिक्षा के अधिकार के लाभ से जम्मू कश्मीर के बच्चे अब तक वंचित थे. देश के अन्य राज्यों में अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण के लिए Minority Act लागू है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में ये लागू नहीं था. देश के अन्य राज्यों में श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए Minimum Wages Act लागू है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में ये सिर्फ कागजों पर ही था.
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अब केंद्र सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि राज्य के कर्मचारियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस को भी दूसरे केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों और वहां की पुलिस के बराबर सुविधाएं मिलें. जल्द ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख में केंद्रीय और राज्य के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इससे स्थानीय नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. साथ ही पब्लिक सेक्टर यूनिट्स और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को भी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. हमने जम्मू-कश्मीर के प्रशासन में एक नई कार्यसंस्कृति और पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है. इसी का नतीजा है कि IIT हो, IIM हो, AIIMS हों, तमाम इरिगेशन प्रोजेक्ट्स हो, पावर प्रोजेक्ट्स हों या फिर एंटी करप्शन ब्यूरो, इन सबके काम में तेजी आई है.
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जम्मू कश्मीर में राजस्व घाटा बहुत ज्यादा है, ये चिंता का विषय है. केंद्र सरकार ये भी सुनिश्चित करेगी की इसके प्रभाव को कम किया जाए. जम्मू-कश्मीर में दशकों से, हजारों की संख्या में ऐसे लोग रहते हैं, जिन्हें लोकसभा के चुनाव में तो वोट डालने का अधिकार था. लेकिन वो विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते थे. ये वो लोग हैं जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आए थे. केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के साथ कुछ कालखंड के लिए जम्मू कश्मीर को सीधे केंद्र सरकार के शासन में रखने का फैसला बहुत सोच समझकर लिया है. जब से वहां गवर्नर शासन लगा है तब से वहां का प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के संपर्क में हैं.
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हम सभी यही चाहते हैं कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव हों, नई सरकार बने, मुख्यमंत्री बनें। मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भरोसा देता हूं कि आपको बहुत ईमानदारी के साथ, पूरे पारदर्शी वातावरण में अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर मिलेगा. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जैसे हमने पंचायत के चुनाव पारदर्शिता के साथ संपन्न कराए गए, वैसे ही विधानसभा चुनाव भी होंगे. मैं जम्मू कश्मीर के अपने भाई-बहनों को एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि आपका जनप्रतिनिधि आपके द्वारा ही चुना जाएगा और आपके बीच से ही आएगा. जैसे पहले एमएलए होते थे वैसे ही आगे भी होंगे। जैसे पहले सीएम या कैबिनेट होती थी, वैसे ही आगे भी होंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद, जब इन पंचायत सदस्यों को नई व्यवस्था में काम करने का मौका मिलेगा तो वो कमाल कर देंगे. अब जम्मू-कश्मीर की जनता अलगाववाद को परास्त करके नई आशाओं के साथ आगे बढ़ेगी.
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परिवारवाद की संस्कृति ने दशकों तक J&K के युवाओं को नेतृत्व का अवसर ही नहीं दिया. अब यहां के युवा, जम्मू-कश्मीर के विकास का नेतृत्व करेंगे और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. मैं नौजवानों और वहां की बहनों-बेटियों से आग्रह करूंगा कि अपने क्षेत्र के विकास की कमान खुद संभालें. जो तकनीक की दुनिया से जुड़े लोग हैं उनसे मेरा आग्रह है कि अपनी नीतियों में, फैसलों में इस बात को प्राथमिकता दें कि जम्मू कश्मीर में कैसे तकनीक का विस्तार किया जाए. वहां के युवा तेजस्वी हैं, वहां जितना तकनीक का विस्तार होगा, उतना ही राज्य के लोगों का जीवन आसान होगा. जम्मू-कश्मीर के केसर का रंग हो या कहवा का स्वाद, सेब का मीठापन हो या खुबानी का रसीलापन, कश्मीरी शॉल हो या फिर कलाकृतियां, लद्दाख के ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स हों या हर्बल मेडिसिन, इन सबका प्रसार दुनियाभर में किए जाने की जरूरत है.
केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद लद्दाख के लोगों का विकास भारत सरकार की जिम्मेदारी है. स्थानीय प्रतिनिधियों, लद्दाख और कारगिल की डवलपमेंट काउंसिल्स के सहयोग से केंद्र सरकार विकास की सभी योजनाओं का लाभ अब और तेजी से पहुंचाएगी. अब लद्दाख के नौजवानों की Innovative Spirit को बढ़ावा मिलेगा, उन्हें अच्छी शिक्षा के लिए बेहतर संस्थान मिलेंगे, अच्छे अस्पताल मिलेंगे साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर का भी और तेजी से आधुनिकीकरण होगा.
लोकतंत्र में स्वाभाविक है कि कुछ लोग इस फैसले के पक्ष में हैं और कुछ को इस पर मतभेद है. मैं उनके मतभेद और उनकी आपत्तियों का भी सम्मान करता हूं. लेकिन मेरा उनसे आग्रह है कि वो देशहित को सर्वोपरि रखते जम्मू-कश्मीर-लद्दाख को नई दिशा देने में सरकार की मदद करें. अनुच्छेद 370 से मुक्ति एक सच्चाई है, लेकिन सच्चाई ये भी है कि इस समय उठाए गए कदमों की वजह से लोगों को जो परेशानी हो रही है, उसका मुकाबला भी वही लोग कर रहे हैं. कुछ मुट्ठी भर लोग वहां हालात बिगाड़ना चाहते हैं, उन्हें जवाब भी वहां के स्थानीय लोग दे रहे हैं.
मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अपने भाइयों और बहनों का आह्वान करता हूं कि आइए, हम सब मिलकर दुनिया को दिखा दें कि इस क्षेत्र के लोगों का सामर्थ्य कितना ज्यादा है, यहां के लोगों का हौसला और जज्बा कितना है. भारतीय संविधान में विश्वास करने वाले जम्मू कश्मीर के हमारे भाई बहन अच्छा जीवन जीने के अधिकारी हैं. मैं आज जम्मू-कश्मीर के साथियों को भरोसा देता हूं कि धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे और उनकी परेशानी भी कम होती चली जाएगी.
एक राष्ट्र के तौर पर, एक परिवार के तौर पर, आपने-हमने, पूरे देश ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. जो सपना सरदार पटेल, बाबा साहेब, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल जी और करोड़ों देशभक्तों का था, वो अब पूरा हुआ है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई है. अनुच्छेद 370 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहनों की जो हानि हो रही थी, उसकी चर्चा ही नहीं होती थी. अनुच्छेद 370 और 35A ने जम्मू-कश्मीर को अलगाववाद, आतंकवाद, परिवारवाद और व्यवस्थाओं में बड़े पैमाने में फैले भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया.
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