लाल किले से पीएम मोदी बोले- क्या हम भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कर सकते हैं
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, भारत हर रोज 25,000 टन से ज्यादा प्लाटिक कचरा पैदा करता है
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 73वें स्वतंत्रता दिवस पर प्लास्टिक के इस्तेमाल व इससे पैदा हुए कचरे की समस्या जोर दिया. उन्होंने पूछा कि क्या देश सिंगल यूज वाले प्लास्टिक से मुक्त हो सकता है. प्रधानमंत्री ने लाल किले से अपने संबोधन में कहा, "क्या हम भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कर सकते हैं? इस तरह के विचार का क्रियान्वयन करने का समय आ गया है. इस दिशा में काम करने के लिए टीमों को जुटना चाहिए. इस पर 2 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण कदम आना चाहिए.
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सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, भारत हर रोज 25,000 टन से ज्यादा प्लाटिक कचरा पैदा करता है. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पहले कहा था कि रोजाना पैदा होने वाले कुल कचरे में से सिर्फ 13,000-14000 टन कचरा एकत्र किया जाता है. उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 से प्लास्टिक कचरे के आयात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया गया है. आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2016-17 के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में पैदा होने वाला कुल ठोस कचरा 1,50,000 टन है.
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इसमें से करीब 90 फीसदी (1,35,000 टन प्रति दिन) एकत्रित किया जाता है. एकत्र किए गए कचरे का 20 फीसदी (27,000 टन प्रति दिन) को प्रोसेस्ड किया जाता है और बाकी को डंप साइट पर भेज दिया जाता है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के एक शोध के अनुसार, भारत के 60 प्रमुख शहरों में अनुमान है कि 4,059 टन प्रति दिन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. सीपीसीबी के अनुसार, 2017-18 के दौरान 69,414 टन ई-कचरा एकत्र किया गया, विघटित व रिसाइकिल किया गया.
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यूएन यूनिवर्सिटी की 'द ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2017' रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2016 में 20 लाख टन ई-कचरा पैदा होने की रिपोर्ट है. कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में प्लास्टिक पर प्रतिबंध होने के बावजूद इसका इस्तेमाल व्यापक रूप से हो रहा है. राष्ट्रीय राजधानी ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन, संग्रह व इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन बहुत से लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
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