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पाकिस्तानी मीडिया ने कुलभूषण मामले पर सरकार को चेताया, क्या गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार हैं हम?

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में ‘जासूसी’ के लिये मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तानी मीडिया ने इसे ‘अभूतपूर्व’ कदम बताया और वहीं विशेषज्ञों ने इस फैसले के कूटनीतिक दुष्परिणामों पर ध्यान दिलाने की कोशिश की है।

Updated on: 11 Apr 2017, 05:09 PM

नई दिल्ली:

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में ‘जासूसी’ के लिये मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तानी मीडिया ने इसे ‘अभूतपूर्व’ कदम बताया और वहीं विशेषज्ञों ने इस फैसले के कूटनीतिक दुष्परिणामों पर ध्यान दिलाने की कोशिश की है।

पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को ‘जासूसी एवं विध्वंसकारी गतिविधियों’ के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनायी। सेना की मीडिया शाखा ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह सजा ‘फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल’ ने सुनायी है और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने इसकी पुष्टि की।

दक्षिणपंथी अंग्रेजी भाषी अखबार ‘द नेशन’ ने अपने पहले पन्ने पर ‘डेथ टू स्पाई स्पाइक्स टेंशन :जासूस की सजा-ए-मौत बढ़ा रही है तनाव’ शीषर्क से खबर पर टिप्पणी करते हुये कहा, कि अदालत के फैसले ने दोनों परमाणु सम्पन्न देशों के बीच लंबे समय से जारी तनाव को बढ़ाते हुए भारतीय जासूस जाधव को सजा-ए-मौत सुनायी।

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अखबार ने राजनीतिक एवं रक्षा विशेषज्ञ डॉ. हसन अस्करी के हवाले से लिखा कि जाधव को फांसी देने का फैसला ‘दोनों देशों के बीच तनाव में और इजाफा करेगा।’ अस्करी ने कहा, सेना ने सख्त सजा दी है जो पाकिस्तानी कानून के मुताबिक है लेकिन हमें यह देखना होगा कि क्या पाकिस्तान इसके राजनीतिक एवं कूटनीतिक दुष्प्रभावों को झेल सकता है या नहीं।

बता दें कि 'द नेशन' को भारत के मुखर आलोचक के तौर पर जाना जाता है। अन्य अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है।

'जियो न्यूज' में वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने कहा, सबसे पहले पाकिस्तान को जासूस के खिलाफ मिले सबूतों को सार्वजनिक करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे साझा करना चाहिए।

हामिद ने कहा, आखिर हर कोई पहले ही भारत की प्रतिक्रिया को लेकर क्यों बात कर रहा है? मेरा मानना है कि भारत को सूझबूझ से काम लेना चाहिए और इस खबर पर बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। अगर लोगों को अजमल कसाब की फांसी याद हो तो पाकिस्तान इस पूरे मुद्दे पर खामोश रहा था। हमारा विशेषाधिकार सामान्य था, अगर कसाब के खिलाफ सबूत हैं तो उसे भारतीय कानून के मुताबिक सजा सुनायी जानी चाहिए।

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पाकिस्तान के एक और प्रमुख अखबार 'डॉन' ने कहा कि यह फैसला ऐसे वक्त में सामने आया है जब पाकिस्तान और भारत के बीच पहले से तनाव जारी है।

अखबार ने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल तलत मसूद के हवाले से लिखा, लंबे समय से पाकिस्तान यह साबित करने के लिये संघर्ष कर रहा है कि पाकिस्तान की अस्थिरता में भारत का हाथ है। मामले में मदद मांगने के लिये हमारे राजदूत कई देश गये लेकिन कुछ भी हाथ नहीं आया। अब हमने अपना कदम उठाया है, पर हमें भारत के जवाबी हमले के लिये तैयार रहना चाहिए।

मसूद ने आगे कहा, हमें इस बात के लिये तैयार रहना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे लेकर प्रतिक्रिया होगी और यहां तक कि पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा पर उल्लंघनों में इजाफा को लेकर भी तैयार रहना चाहिए।

'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने इस फैसले को 'अभूतपूर्व' बताते हुए कहा है कि रिपोर्ट में इस फैसले से पड़ोसी देशों के बीच कटु राजनीतिक विवाद पनपने की आशंका बढ़ गई है।

वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ रिटायर्ड एयर मार्शल शहजाद चौधरी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि इस फैसले के चलते भारत के साथ हमारे रिश्तों में बदलाव आयेगा।

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