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पाकिस्‍तान की टुच्‍चई: भारत के विरोध में वो काम किया, जो युद्धकाल में भी नहीं किया था

जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को निष्‍प्रभावी किए जाने के बाद से बौखलाया पाकिस्‍तान अपनी उलजुलूल हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मुंह की खाने के बाद पाकिस्‍तान ने अब वो काम किया है, जो उसने तीन लड़ाइयों, पाकिस्‍तान के विभाजन के समय भी नहीं किया था.

Updated on: 22 Oct 2019, 10:32 AM

नई दिल्‍ली:

जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को निष्‍प्रभावी किए जाने के बाद से बौखलाया पाकिस्‍तान अपनी उलजुलूल हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मुंह की खाने के बाद पाकिस्‍तान ने अब वो काम किया है, जो उसने तीन लड़ाइयों, पाकिस्‍तान के विभाजन के समय भी नहीं किया था. भारत ने पाकिस्‍तान के इस कदम का न केवल पुरजोर विरोध किया है, बल्‍कि तीखी आलोचना भी की है. भारत का कहना है कि पाकिस्‍तान ने ऐसा कदम उठाकर अंतरराष्‍ट्रीय नियमों की अवहेलना की है.

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दरअसल, पाकिस्‍तान ने 27 अगस्‍त के बाद से लेकर अब तक भारत के किसी भी डाक की खेप को स्‍वीकार नहीं किया है. केंद्रीय संचार एवं आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को इसकी पुष्टि करते हुये कहा कि पाकिस्तान ने बिना पूर्व सूचना दिए ऐसा कदम उठाया है. उन्‍होंने कहा, पाकिस्‍तान ने ऐसा कर अंतरराष्‍ट्रीय नियमों का उल्‍लंघन किया है.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘पाकिस्तान का यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय डाक यूनियन नियमों का उल्लंघन है लेकिन पाकिस्तान तो पाकिस्तान है.’’ उन्‍होंने इस बात की पुष्‍टि की कि पिछले दो माह से पाकिस्तान के साथ डाक सेवा लेन-देन बंद है. पाकिस्तान द्वारा ऐसा कदम उठाने के बाद भारतीय डाक अधिकारी पाकिस्तान के पते वाली डाक को रोकने पर विवश हो गए हैं. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान से भेजे गए पत्र आदि सऊदी अरब की एयरलाइंस द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं के जरिये भारत पहुंच रहे हैं.

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रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''एक वैश्विक डाक यूनियन प्रणाली है जिसके तहत सभी परिचालन करते हैं. पाकिस्तान ने पिछले दो माह से इसे बंद कर दिया है. ऐसे में पाकिस्तान ने जब इसे रोका है तो हमारे डाक विभाग को भी इस तरह की कार्रवाई के बारे में सोचना पड़ा है. अब पाकिस्तान ने भारत के पत्र रोक दिए हैं, तब यह कार्रवाई की गई है. पाकिस्तान के इस कदम को अनावश्यक माना जा रहा है क्योंकि पूर्व में विभाजन, युद्ध या सीमापार तनाव होने पर भी कभी डाक मेल सेवा बंद नहीं की गई है.