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INX मनी लॉन्ड्रिंग Case: कोर्ट से फिर पी चिदंबरम को लगा झटका, अब 11 दिसंबर तक रहेंगे जेल में

कोर्ट से एक बार फिर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) को बड़ा झटका लगा है. INX मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है.

Updated on: 27 Nov 2019, 04:19 PM

नई दिल्‍ली:

कोर्ट से एक बार फिर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) को बड़ा झटका लगा है. INX मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है. अब वे 11 दिसंबर तक तिहाड़ जेल में ही रहेंगे. इससे पहले आज ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ तिहाड़ जेल में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P chidambaram) से मुलाकात करने पहुंचे. इस मौके पर उनके साथ पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी पहुंचे. 

INX मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष अदालत ने बुधवार को पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत 11 दिसंबर तक बढ़ा दी है. बता दें कि इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से 22 से 23 नवम्बर तक तिहाड़ जेल में पूछताछ करने की अनुमति दे दी थी.

हिरासत में 98 दिन बिता चुके पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कोर्ट द्वारा ईडी के तर्कों को खारिज किए जाने के बावजूद उनकी जमानत अर्जी खारिज होने पर नाराजगी जाहिर की. चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ से कहा कि हाई कोर्ट ने सबूतों से छेड़छाड़ की और मेरे भाग निकलने के डर से मेरी जमानत याचिक खारिज कर दी है. वहीं उनके वकीन कपिल सिब्बल ने कहा, कोर्ट ने आरोप गंभीर होने के चलते चिदंबरम की बेल याचिका खारिज की है.

कपिल सिब्बल ने पीठ का नेतृत्व कर रहे जस्टिस आर बानूमति से कहा कि अगर अदालत की गंभीर आरोप वाली दलील स्वीकार हो जाती है तो हमें कभी जमानत नहीं मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि पी चिदंबरम को जेल में रखना उच्च न्यायालय के तनाव की ओर इशारा करता है, इससे गलत संदेश जाता है. चिदंबरम के लिए बहस करते हुए सिब्बल ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे मैं कुछ रंगा बिल्ला हूं. अगर मुझे जमानत पर रिहा नहीं किया जाता है तो यह इस देश को एक गलत संदेश देगा. बता दें कि रंगा और बिल्ला बॉम्बे को दो खतरनाक अपराधी थे जो आर्थर रोड जेल से रिहा होने के तुरंत बाद दिल्ली आ गए थे. उन्होंने अगस्त 1978 में दो किशोरों का अपहरण कर उन्हें बर्बरता से मार डाला था.