logo-image

फिलहाल देश में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' संभव नहीं: EC सूत्र

Narendra Modi, One Nation one Election, Prime Minister Narendra Modi, Capital Delhi, EC, Election commission, One Nation one Election is not posssible

Updated on: 20 Jun 2019, 09:00 AM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Mdoi) ने एक राष्ट्र एक चुनाव पर चर्चा के लिए बुधवार को एक सर्वदलीय बैठक की, लेकिन निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने कहा है कि यह विचार फिलहाल संभव नहीं है. एक पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने भी कहा कि यह प्रस्ताव जितना उचित है, उतना ही अनुचित भी है.

यह भी पढ़ेंः Live: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संसद के संयुक्त सत्र को करेंगे संबोधित, बताएंगे मोदी सरकार का एजेंडा

निर्वाचन आयोग के एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि यदि यह विचार संभव होता तो आयोग ने इस साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए होते. निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव सात चरणों में कराए थे, जो 11 अप्रैल से शुरू हुआ था और 19 मई तक चला था. चुनाव परिणाम 23 मई को घोषित हुए थे.

सूत्रों ने यह भी कहा कि एकसाथ चुनाव कराने में कानून-व्यवस्था का मुद्दा बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की संख्या सीमित है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में 90 करोड़ से अधिक मतदाता हैं और एकसाथ चुनाव की तैयारी करना फिलहाल काफी कठिन काम है.

यह भी पढ़ेंः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज चमकी बुखार से प्रभावित इलाकों का करेंगे हवाई सर्वेक्षण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर सर्वदलीय बैठक बुलाई. लेकिन इस बैठक से विपक्ष ने किनारा कर लिया. बैठक के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को निमंत्रण भेजा गया था लेकिन उन्होंने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया. लेकिन बाद में मालूम चला कि उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के चलते मुंबई में ही व्यस्त रहें.

बता दें ममता के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन भी इस बैठक में नहीं शामिल हुए थे. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने इस बैठक का बहिष्कार का ऐलान किया था.

क्या है एक देश, एक चुनाव

'एक देश, एक चुनाव' की नीति के तहत देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है. इसके तहत पूरे देश में 5 साल में एक ही बार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होगा. इसपर केंद्र सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि देश को बार-बार पड़ने वाले आर्थिक बोझ से भी मुक्ति मिलेगी. हालांकि पूरी बहस लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए हो रही है. नगरीय निकाय चुनावों के बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है, जहां तक धन की बात है तो आजकल छात्रसंघ चुनावों में भी लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं.