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अब मंत्रिमंडल को खलेगी इस कद्दावर मंत्री की कमी, मोदी सरकार के कई ऐतिहासिक फैसलों के रहे गवाह

जेटली के कार्यकाल में जीएसटी, नोटबंदी, इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्शी कोड, जनधन, कैश ट्रांसफर जैसे जबरदस्त कदम उठाए गए तो उनके अर्थव्यवस्था को पीछे कर देने वाले कई खामियां भी उनके खाते में हैं.

Updated on: 31 May 2019, 06:37 AM

highlights

  • एनबीएफसी मामले में जेटली हुए विफल
  • कभी बीजेपी के चाणक्य कहे जाते थे जेटली
  • जीएसटी और आईबीसी जैसे बड़े सुधार
  • बैंकों में एनपीए कम करने में सफलता

नई दिल्ली:

भारतीय राजनीति पर चार दशकों तक एक कुशल रणनीतिकार के रूप में छाए रहे भारतीय जनता पार्टी के नेता अरुण जेटली इस बार कैबिनेट का हिस्सा नहीं होंगे इस बार मंत्रिमंडल में उनकी कमी बहुत खलेगी. उनकी भूमिका अभी खत्म भले न हुई है पर स्वास्थ्य की समस्या ने उन्हें राजनीति से दूर रहने के लिए बाध्य कर दिया है. अरुण जेटली का कार्यकाल मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसलों का गवाह रहा है. जेटली के कार्यकाल में देश में नोटबंदी और जीएसटी लागू होने जैसा ऐतिहासिक फैसला लिया गया. वित्त मंत्री के रूप में जेटली की एक अद्भुत विरासत रही है. जेटली ने राजनीति में सफलता के साथ-साथ कई बार करारी शिकस्त भी देखी थी.

अरुण जेटली अपने इसी अनुभवों के चलते एनडीए- 1 में सरकार का प्रमुख चेहरा भी रहे. सरकार की नीतियों और योजनाओं की प्रशंसा करनी हो या फिर विपक्ष पर आलोचनाओँ के वार करने हो जेटली हर मामले में हर मामले में जेटली फॉरवर्ड रहते थे. राफेल सौदा हो जीएसटी की मुश्किलें या फिर पेट्रोलियम की कीमतों में उछाल हो जेटली ने इन बातों को आम जनता के सामने सरल शब्दों और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर मोदी सरकार का बचाव किया. जेटली के कार्यकाल में जीएसटी, नोटबंदी, इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्शी कोड, जनधन, कैश ट्रांसफर जैसे जबरदस्त कदम उठाए गए तो उनके अर्थव्यवस्था को पीछे कर देने वाले कई खामियां भी उनके खाते में हैं.

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर जेटली के स्वास्थ्य को लेकर अटकले लगाईं जा रही थीं जेटली ने पिछले कुछ दिनों से चल रही अटकलों को समाप्त करते हुये ट्विटर पर एक पत्र पोस्ट किया जो कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा. पत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री से नई सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं दिये जाने का अनुरोध किया है. आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मिली भारी सफलता के बाद जेटली ने मौखिक तौर पर भी अपनी स्थिति प्रधानमंत्री को बता दी थी. अपनी बीमारी के बारे में खुलासा किए बिना जेटली ने कहा कि वह बाहर रहकर भी सरकार और पार्टी का सहयोग करते रहेंगे.

कभी बीजेपी के चाणक्य कहे जाते थे जेटली
अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले बीजेपी और पीएम मोदी का चाणक्य अरुण जेटली को ही माना जाता था. पीएम नरेंद्र मोदी ने जेटली की तारीफ करते हुए उन्हें 'बेशकीमती हीरा' भी बता चुके हैं. करीब दो दशक से लटके जीएसटी के प्रस्ताव को इंप्लीमेंट करने में जेटली के राजनीतिक कौशल की भूमिका कम नहीं आंकी जा सकती है. इसी कौशल का परिणाम है कि जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने बाद जीएसटी परिषद में सारे प्रस्ताव सर्वसम्मति से अनुमोदित किए गए. असल में सभी राजनीतिक दलों में अच्छे संपर्क रखने की वजह से उन्हें इसमें सफलता मिली.

जेटली को मिली थी यहां सफलता
बैंकों के बोर्ड में सुधार के लिए जेटली ने पीजे नायक समिति की सिफारिशों को लागू किया. जेटली के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना. भारत सरकार ने राजकोषीय घाटे को GDP के 3 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा है. अरुण जेटली इस लक्ष्य को 3.4 फीसदी तक लाने में सफल रहे. महंगाई के मोर्चे पर भी जेटली को सफलता मिली थी, उन्होंने रिजर्व बैंक में मौद्रिक नीति समीक्षा समिति बनाई और महंगाई को लेकर आक्रामक रुख रखा जिसकी वजह से उनके कार्यकाल में उपभोक्ता महंगाई 7.72 फीसदी से घटकर 2.92 फीसदी तक आ गई.

एनबीएफसी मामले में जेटली हुए विफल
अरुण जेटली के कार्यकाल को बैंकों के एनपीए का बोझ कम करने के लिए भी जाना जाएगा. हालांकि एनबीएफसी का कर्ज संकट दूर करने मे जेटली को सफलता नहीं मिली इस तरह से एफआरडीआई बिल को वापस लेना भी सरकार के लिए एक बड़ा शर्मनाक विषय रहा इसमें विफल बैंकों को जमाकर्ताओं के धन से उबारने के प्रस्तावा का विपक्ष ने जमकर विरोध किया. इसके अलावा सुस्त अर्थव्यवस्था भी जेटली की एक बड़ी विफलता मानी जा सकती है. जेटली को एक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था मिली थी लेकिन मौजूदा समय वो एक ढीली अर्थव्यवस्था छोड़कर जा रहे हैं. तीन साल पहले जीडीपी दर 8.17 थी और अब यह घटकर 7 फीसदी के भीतर आ गई है. अगर भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐसे ही सुस्ती जारी रही तो भारत का सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा चीन एक बार फिर से छीन सकता है.

अरुण जेटली के सफल कदम

  • जनधन अकाउंट खोलने का अभियान
  • आधार के आधार पर सामाजिक योजनाओं में डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम
  • वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग को लागू करना
  • जीएसटी और आईबीसी जैसे बड़े सुधार
  • बैंकों में एनपीए कम करने में सफलता
  • महंगाई 7.2 से 2.9 फीसदी पर आई
  • राजकोषीय मजबूती बनी रही

अरुण जेटली की विफलताएं

  • रिजर्व बैंक के गवर्नरों रघुराम राजन और उर्जित पटेल से टकराव होता रहा
  • तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, लेकिन छोड़ कर जा रहे सुस्त अर्थव्यवस्था
  • एनबीएफसी में एनपीए का मसला सुलझ नहीं पाया
  • इन्हीं के दौर में नोटबंदी लागू हुआ जिससे अर्थव्यवस्था सुस्त हुई
  • रेपो रेट में कटौती का लाभ बैंक ग्राहकों तक पहुंचाने का दबाव नहीं बना पाए