जन-धन, आयुष्मान और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना अच्छी, नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत की राय
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जन-धन योजना भी लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी जो आगे चलकर लोगों को पैसे बचाने के लिए प्रेरित करेगी
नई दिल्ली:
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी की मानें तो केंद्र सरकार की जमीनी योजनाएं जैसे जन-धन, आयुष्मन भारत और प्रधानमंत्री उज्जवला योजना लंबे समये के लिए अच्छी हैं. उनका मानना है कि आयुष्मान भारत स्कीम लंबे समय के लिए लोगों को लाभ पहुंचाने वाली योजना है. बता दें, इस स्कीम के तहत अब तक 50 लाख जरुरत मंद लोगों का मुफ्त में इलाज हुआ है.
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जन-धन योजना भी लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी जो आगे चलकर लोगों को पैसे बचाने के लिए प्रेरित करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बनर्जी ने देश की आर्थिक मंदी के बारे में बात करते हुए कहा, ये समय समस्या को समझने की है और सरकार इस बारे में चिंतित है. केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, सरकार को ऐसी योजनाएं और भी लानी चाहिए ताकी गरीबों तक ज्यादा से ज्यादा पैसा पहुंच सके.
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अभिजीत बनर्जी ने मोदी सरकार पर साधा था निशाना
बता दें, संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र का नोबेल पाने वाले भारतीय-अमेरिकी मूल के अभिजीत बनर्जी के ये बयान ऐसे समय में सामने आए हैं जब हाल गही में उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था पर तीखी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि भारत सरकार द्वारा तेजी से समस्या की पहचान करने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था 'बहुत बुरा' प्रदर्शन कर रही है. उन्होंने कहा, 'हम जो तथ्य देख रहे हैं, उसके मुताबिक 2014-15 और 2017-18 के बीच आंकड़े थोड़े कम हुए हैं. ऐसा कई, कई, कई सालों में पहली बार हुआ है, तो यह एक बहुत ही बड़ी चेतावनी का संकेत है.' इस बयान को आधार बना कर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने मोदी सरकार पर बड़ हमला बोला था.
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गरीबों को टैक्स मिले राहत और अमीरों पर बढ़ाया जाए टैक्स
वहीं उन्होंने हाल ही में भारत में हुई कॉरपोरेट टैक्स में कटौती पर निराश जताई थी. अभिजीत ने कहा कि वेलफेयर स्टेट में अमीरों पर टैक्स लगाना और उससे गरीबों की भलाई के लिए काम करना ही सबसे ज्यादा उचित ही है अभिजीत बनर्जी ने आगे कहा कि अमीरों पर बड़ा टैक्स लगाने और गरीबों को राहत देने की व्यवस्था सही तरीके से चलती रही है. इस व्यवस्था में कहीं भी कोई विरोधाभास नहीं है. सरकार को टैक्स स्लैब में यह ध्यान रखना होगा कि देश की अर्थव्यवस्था अच्छे तरीके से चले और सरकार गरीबों के प्रति उदार भी बनी रहे. उन्होंने आगे कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता कि ज्यादा टैक्स से अमीर हतोत्साहित होते हैं. सरकार अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगातार सही काम कर रही है. हमें वेलफेयर स्टेट के लिए ज्यादा टैक्स लगाना होगा, ताकि अर्थव्यवस्था स्थिर हो सके, लोगों का रोजगार न छिने. इसलिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से मैं निराश हूं.'
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