स्विस बैंक ने जारी की निष्क्रिय भारतीय खातों की सूची, 300 करोड़ रुपयों का नहीं है कोई दावेदार
भारत में काले धन के मुद्दे पर जारी राजनीतिक बहस के बीच स्विट्जरलैंड के बैंकों में लगातार तीसरे साल ऐसे खातों की जानकारी सार्वजनिक की है जिसमें रखे पैसों पर किसी ने कोई दावेदारी नहीं पेश की है।
नई दिल्ली:
भारत में काले धन के मुद्दे पर जारी राजनीतिक बहस के बीच स्विट्जरलैंड के बैंकों ने लगातार तीसरे साल ऐसे खातों की जानकारी सार्वजनिक की है जिसमें रखे पैसों पर किसी ने कोई दावेदारी नहीं पेश की है।
2015 में पहली बार स्विट्जरलैंड में बैंकिंग व्यवस्था की देखरेख करने वाली संस्था ने इन बैंकों में भारतीयों के निष्क्रिय पड़े खातों की सूचना जारी की थी।
गौरतलब है कि इन खातों में स्विट्जरलैंड के नागरिकों के साथ-साथ भारतीयों समेत बहुत से विदेशी नागरिकों के भी खाते हैं।
ताजा आंकड़ों के अनुसार भारतीयों से जुड़े 6 अकाउंट्स मिले हैं जिसमें से 3 भारतीय मूल के नागरिकों के हैं लेकिन अब वो किसी और देश में रहते हैं।
संस्था की ओर से जारी आंकड़ों में भारत के कुल निष्क्रिय खातों की पूरी जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि इन खातों में पड़ी कुल रकम लगभग 4.4 करोड़ स्विस फ्रैंक यानी 300 करोड़ रुपए के करीब है।
स्विट्जरलैंड में बैंकिंग व्यवस्था की नियमावली के अनुसार सूची में शामिल इन अकाउंट्स को 2020 तक रखा जाएगा और इसके बाद इन्हें दावेदार न मिलने पर खत्म कर दिया जाएगा।
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नियम के तहत इन खातों की जानकारी इसलिए जारी की जाती है ताकि खाताधारक कानूनी तरीके से उस पर अपना हक साबित कर सकें और सही दावेदार मिलने के बाद उस खाते की जानकारियां सूची से हटा दी जाती हैं।
हालांकि इस लिस्ट में उन्हीं अकाउंट्स को शामिल किया गया है जिनका पिछले 60 साल से कोई दावेदार नहीं है। इसमें स्विटजरलैंड के भी बड़ी संख्या में खाते शामिल हैं। इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस, यूके, यूएस, टर्की, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के खाते भी सूची में दर्ज हैं।
आपको बता दें कि इस सूची में अभी भी 3,500 से अधिक ऐसे खाते हैं जो कम से कम छह भारतीय नागरिकों से जुड़े हैं और इनके दावेदार नहीं मिले हैं।
हाल ही में स्विस बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 2017 की तुलना में भारतीयों की जमा कराई रकम में 50 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
हालांकि सरकार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि स्विस बैंकों में जमा रुपये केवल काला धन नहीं हैं और काले धन को वापस लाने के लिए जो करार हुआ है उसके तहत साल के अंत में बैंक इनकी लिस्ट हमें खुद ही सौंपेगा।
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