निर्भया Case: SC ने कहा- किसी दोषी को दया याचिका के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं तो SG बोले- ये करे तो...
कानूनी राहत के विकल्प खत्म कर चुके निर्भया के गुनाहगारों की फांसी की सजा पर अमल की मांग को लेकर केंद्र की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है.
नई दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से निर्भया के गुनाहगारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी मना करने के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. कानूनी राहत के विकल्प खत्म कर चुके निर्भया के गुनाहगारों की फांसी की सजा पर अमल की मांग को लेकर केंद्र की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. SC ने सरकार को सुझाव दिया कि वो नया डेथ वारंट जारी करने के लिए ट्रायल कोर्ट जाए.
कोर्ट ने कहा कि तीन दोषियों की सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन, क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज हो चुकी है. अगर चौथे दोषी पवन ने दया याचिका दायर नहीं की है तो उसे इसके लिए मजबूर तो नहीं किया जा सकता है. आप निचली अदालत से नया डेथ वारंट जारी करने का अनुरोध करे.
सालिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि जैसे ही नया डेथ वारंट जारी होगा, चौथा दोषी पवन फांसी की सजा रोकने के लिए अर्जी दाखिल कर देगा. चूंकि HC का कहना है कि सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जा सकती है, अलग-अलग नहीं. लिहाजा दोषी जानबूझकर कर फांसी को टालने के लिए कानूनी राहत के विकल्प नहीं आजमा रहे.
SG तुषार मेहता ने कहा सभी दोषियों को कानूनी राहत विकल्प आजमाने के लिए दिल्ली HC से मिली सात दिनों की मोहलत आज खत्म हो रही है, लेकिन अभी तक चौथे दोषी पवन की ओर से SC में क्यूरेटिव या राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर नहीं की गई है. मुकेश, विनय, अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके है.
SG ने कोर्ट से आग्रह किया कि अब अगर नया डेथ वारंट जारी होता है तो दोषियों को 14 दिन की मोहलत नहीं मिलनी चाहिए. कानूनी राहत के विकल्प खत्म कर चुके निर्भया के गुनाहगारों की फांसी की मांग पर SC ने दोषियों को नोटिस जारी किया है. SG ने सरकार कहा कि आप नया डेथ वारंट जारी करवाने के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं.
क्या दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है इस पर आगे सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा. एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि SC ने ये साफ किया है कि केंद्र की अर्जी का SC में लंबित रहने का ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्भया के गुनाहगारों के लिए नया डेथ वांरट जारी करने पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यानी SC में सुनवाई सिर्फ इस बड़े सवाल पर केंद्रित रहेगी कि एक गुनाह में सभी गुनाहगारों को क्या एक साथ ही फांसी की सजा जरूरी है.
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