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निर्भया कांड के दोषी अक्षय कुमार ने कहा- दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, फांसी की क्या जरूरत

निर्भया कांड के दोषी अक्षय कुमार की तरफ से दायर पुनर्विचार अर्जी में वेद पुराण और उपनिषद में लोगों की हजारों साल यक जीने का हवाला दिया गया है.

Updated on: 10 Dec 2019, 05:54 PM

नई दिल्ली:

निर्भया कांड के एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की है. निर्भया रेप और हत्याकांड दोषी अक्षय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में दाखिल पुनर्विचार अर्जी में कई अजीबोगरीब दलीलें दी हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है यहां का पानी जहरीला हो चुका है और ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है

यही नहीं अक्षय कुमार की तरफ से दायर पुनर्विचार अर्जी में वेद पुराण और उपनिषद में लोगों की हजारों साल यक जीने का हवाला दिया गया है. अर्जी में कहा गया है इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे.

त्रेता युग में भी एक एक आदमी हज़ार साल तक जीता था लेकिन याब कलयुग में आदमी की उम्र 50 से साल तक सीमित रह गई है. तो फिर फांसी की सज़ा देने की ज़रूरत नहीं है.

गौरतलब है कि अन्य आरोपियों की तरह ही ट्रायल कोर्ट ने अक्षय को भी फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा.

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इधर, दिल्ली के चर्चित निर्भया गैंगरेप मामले में चारों दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने को लेकर भले ही कोई आदेश न आया हो लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. इसके तहत अगर इन चारों को फांसी दी जाती है तो इनमें से अधिकतम वजन वाले कैदी के वजन के हिसाब से एक डमी को फांसी देकर देखा गया.

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तिहाड़ प्रशासन ने एक डमी में 100 किलो बालू और रेत भरकर उसे फंदे से लटकाया. ट्रायल करने की एक वजह यह थी कि जब दोषियों को फांसी दी जाएगी तो उनके वजन को यह रस्सी सहन कर सकेगी या नहीं. ट्रायल के दौरान डमी को करीब एक घंटे तक फंदे पर लटकाए रखा. इससे पहले जब 9 फरवरी, 2013 को जब संसद हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी पर लटकाया गया था, तब भी डमी का ट्रायल किया गया था.