logo-image

NIA विधेयक को मोदी सरकार ने 'राष्ट्रहित' में बताया, कांग्रेस ने साधा निशाना

सरकार ने सोमवार को जोर दिया कि एनआईए (NIA) की जांच करने की शक्ति का विस्तार करना आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की उसकी नीति का हिस्सा है और यह राष्ट्रहित में है. वहीं

Updated on: 15 Jul 2019, 06:26 PM

highlights

  • सरकार ने कहा,एनआईए (NIA) की जांच करने की शक्ति का विस्तार करना
  • कांग्रेस ने कहा एनआईए विधेयक राज्यम में ‘पुलिस स्टेट’ को बढ़ावा देना है
  • तृणमूल ने कहा, कानून का दुरुपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं 

नई दिल्ली:

सरकार ने सोमवार को जोर दिया कि एनआईए (NIA) की जांच करने की शक्ति का विस्तार करना आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की उसकी नीति का हिस्सा है और यह राष्ट्रहित में है. वहीं कांग्रेस के मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि एनआईए, यूएपीए, आधार जैसे कानूनों में संशोधन करके सरकार भारत को ‘पुलिस स्टेट’ में बदलना चाहती है. निचले सदन में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि जांच एजेंसियों का ‘राजनीतिक बदले’ के लिये दुरूपयोग किया जाता है. उन्होंने इस संदर्भ में मीडिया में विषयों को लीक किये जाने के विषय को भी उठाया.

जब तक कोई व्यक्ति दोषी साबित नहीं होता वो निर्दोष है 

उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखना चाहिए कि जब तक कोई व्यक्ति दोषी साबित नहीं होता है तब तक वह निर्दोष होता है. उन्होंने जांच और अभियोजन दोनों विषयों में फर्क किये जाने का भी उल्लेख किया. तिवारी ने यह भी दावा किया कि एनआईए अधिनियम की संवैधानिक वैधता के विषय का अभी तक निपटारा नहीं किया गया है क्योंकि इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं अभी अदालतों में लंबित है. उन्होंने कहा कि एनआईए कानून को कुछ विशेष विषयों को ध्यान में रखते हुए लाया गया था. अब इस विशेष कानून को अन्य कानून की तरह नहीं बनाएं. एनआईए जैसी जांच एजेंसी को किसी अन्य पुलिस एजेंसी की तरह नहीं बनाएं.

कांग्रेस सदस्य ने आरोप लगाया कि एनआईए, यूएपीए और आधार जैसे कानूनों में संशोधन करके सरकार भारत को ‘पुलिस स्टेट’ में बदलना चाहती है.

एनआईए के जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा

विधेयक चर्चा एवं पारित होने के लिये पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए के जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसम्पत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो.

इसे भी पढ़ें:लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी पर जानें क्‍यों भड़क गए गृह मंत्री अमित शाह

उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है.

रेड्डी ने कहा, ‘हम आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर काम कर रहे हैं. यह विधेयक राष्ट्र हित में लाया गया है. सदन से आग्रह करते हैं कि इसे पारित किया जाए.’ चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि मानवता और देश के हित में आतंकवाद से सबको मिलकर निटपना चाहिए.

मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके सिंह ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि पिछले कई वर्षों में आतंकवाद का राजनीतिकरण हुआ है. राजनीतिक फायदे के लिए यह सब किया गया.

उन्होंने कहा कि हैदराबाद के एक पुलिस प्रमुख को एक नेता ने एक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका था और कहा कि कार्रवाई आगे बढ़ाते हैं तो उनके लिए मुश्किल हो जाएगी.

असदुद्दीन ने कहा जिसका जिक्र हो रहा है वो सदस्य मौजूद नहीं

इस पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहा कि भाजपा सदस्य जिस निजी वार्तालाप का उल्लेख कर रहे हैं और जिनकी बात कर रहे हैं वो यहां मौजूद नहीं हैं.

सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब द्रमुक सदस्य ए राजा बोल रहे थे तो ओवैसी ने क्यों नहीं टोका? वह भाजपा के सदस्य को क्यों टोक रहे हैं? अलग अलग मापदंड नहीं होना चाहिए.

इस पर ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो मुझे डराइए मत, मैं डरने वाला नहीं हूं.

शाह ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि किसी को डराया नहीं जा रहा है, लेकिन अगर डर जेहन में है तो बात अलग है.

इसके बाद सत्यपाल सिंह ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि 2001 में जब अमेरिका में हमला हुआ तो उसने कारगर कदम उठाए. उसने मुंबई हमले के लिए डेविड हेडली के खिलाफ अपने यहां मुकदमा चलाया.

और पढ़ें:टीम इंडिया के मुख्य चयनकर्ता ने महेंद्र सिंह धोनी को दी संन्यास लेने की सलाह, बोले- पहले जैसे नहीं रहे माही

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने बहुत पहले कर दिया और वो हम इस संशोधन विधेयक के माध्यम से अब कर रहे हैं.

सिंह ने कहा कि यह समय, मानवता और देशहित के लिए जरूरी है कि आतंकवाद से सब मिलकर निपटें.

देश से बाहर मौजूद आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती 

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि संशोधन विधेयक में यह प्रावधान है कि देश से बाहर मौजूद आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है, लेकिन क्या पाकिस्तान जैसे किसी देश के साथ हमारी संधि है जिससे यह संभव हो सके.

उन्होंने कहा कि ऐसे कानून का दुरुपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए.

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के केआर कृष्णम राजू ने कहा कि एनआईए टीम में कार्यरत लोगों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और कानूनी प्रक्रिया को भी तेज करने की जरूरत है.

शिवसेना के राहुल शिवाले ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस संशोधन से राष्ट्र की सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और मजबूत मिलेगी.

बीजू जनता दल के बी. महताब ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि देश के संघीय ढांचे को कोई नुकसान नहीं हो.

उन्होंने कहा कि अगर आतंकवाद के मामले में जांच की प्रक्रिया में राज्य के डीजीपी को भरोसे में लिया जाएगा तो इससे मदद मिलेगी.

बसपा के कुंवर दानिश अली ने कहा कि पहले के कानूनों का दुरुपयोग हुआ है और ऐसे में जांच एजेंसी और अभियोजन एजेंसी अलग होनी चाहिए.

राकांपा की सुप्रिया सुले ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर सभी को एकमत होना चाहिए और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप नहीं होना चाहिए.

तेदेपा के केसी श्रीनिवास नैनी ने कहा कि रोकथाम के लिए प्रणाली बनाने में भी सरकार को ध्यान देना चाहिए.

दोषी को समय पर सजा हो तथा निर्देाष बरी हो जाएं

कांग्रेस के रवनीत सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों पर समय पर फैसला होना चाहिए और दोषी को समय पर सजा हो तथा निर्देाष बरी हो जाएं. भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि विधेयक में पहले की खामियों को दुरुस्त करने के लिए संशोधन लाया गया है. उन्होंने कांग्रेस के कुछ सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि हैरानी की बात है कि जो खुद आतंकवाद का दंश झेल चुके हैं, वो खुद इसका विरोध कर रहे हैं.

चर्चा में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, जदयू के कौशलेंद्र कुमार, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर, भाजपा के विष्णुदयाल राम, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने भी हिस्सा लिया.