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रंगनाथ आयोग की सिफारिशों का विरोध कर चुके हैं रामनाथ कोविंद, BJP ने बनाया है राष्ट्रपति उम्मीदवार

बिहार के राज्यपाल और एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद दलित ईसाई और मुस्लिमों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का विरोध कर चुके हैं।

Updated on: 20 Jun 2017, 12:36 PM

highlights

  • दलित ईसाई और मुस्लिम को SC दर्जा दिए जाने का विरोध कर चुके हैं कोविंद
  • बीजेपी ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को बनाया है राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार

नई दिल्ली:

बिहार के राज्यपाल और एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद दलित ईसाई और मुस्लिमों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का विरोध कर चुके हैं।

बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) ने दलित कार्ड खेलते हुए कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवर बनाया है। उनकी उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए बीजेपी के नैशनल प्रेसिडेंट अमित शाह ने उनकी दलित पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा था कि वह लगातार दलितों के अधिकार के लिए काम करते रहे हैं।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविंद की तारीफ करते हुए कहा कि राष्ट्रपति साबित होंगे और गरीबों एवं वंचित समुदायों के लिए काम करना जारी रखेंगे। मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'मुझे यकीन है कि कोविंद बेहतरीन राष्ट्रपति साबित होंगे और गरीबों एवं वंचित समुदायों की मजबूत आवाज बने रहेंगे।'

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हालांकि 2010 में बीजेपी के प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने रंगनाथ मिश्रा की उन सिफारिशों का विरोध किया था जिसमें दलित ईसाईयों और मुस्लिमों को अनुसूचि जाति में शामिल करने की सिफाऱिश की गई थी।

कोविंद ने कहा था कि इन सिफारिशों की मदद से दलित ईसाई और दलित मुस्लिम पिछड़ी जातियों को मिले आरक्षण की मदद से सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने लगेंगे।

इसके साथ ही कोविंद ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का विरोध किया था। बीजेपी की वेबसाइट पर अपलोड किए गए प्रेस नोट के मुताबिक, 'अगर सरकार रंगनाथ मिश्रा की सिफारिशों को स्वीकार कर लेती है तो धर्मांतरित ईसाई और मुस्लिम अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने में सफल हो जाएंगे। इसके बाद अनुसूचित जातियों को सरकारी नौकरियों और राजनीतिक क्षेत्र में अपना आरक्षण धर्मांतरित ईसाईयों और मुसलमानों के साथ साझा करना होगा।'

उन्होंने कहा कि ईसाई और मुस्लिमों को सरकारी नौकरियों में ओबीसी कोटा के तहत नौकरियां मिलती है इसलिए उन्हें एससी कोटे के तहत रखना बस उन्हें आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के काबिल बनाना है।

कोविंद ने कहा था कि धर्मांतरित ईसाईयों को एससी की सूची में शामिल किए जाने की मांग को ब्रिटिश सराकार ने 1936 में खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि भीमराव आंबेडकर, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल और सी राजगोपालाचारी ने भी इस मांग को खारिज कर दिया था।

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