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देश में दलितों के खिलाफ बढ़े अत्याचार के मामले, महिलाओं के खिलाफ अपराध में टॉप पर यूपी: NCRB

केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को 'भारत में अपराध-2016' के रिपोर्ट जारी किए हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश के अंदर हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि दर्ज की गई है।

Updated on: 30 Nov 2017, 07:45 PM

highlights

  • पिछले तीन सालों में देश के अंदर हत्या, दंगों, लूटपाट और डकैती के मामलों में कमी आई है
  • उत्तर प्रदेश पिछले साल हत्या के दर्ज मामलों में सबसे अव्वल स्थान पर आया है

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपराध के ताजा आंकड़ों को जारी करते हुए कहा है कि पिछले तीन सालों में देश के अंदर हत्या, दंगों, लूटपाट और डकैती के मामलों में कमी आई है।

केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को 'भारत में अपराध-2016' के रिपोर्ट जारी किए हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश के अंदर हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि दर्ज की गई है।

रिपोर्ट में जहां एक ओर देश में हत्या और दंगों के मामले घटे हैं, वहीं दूसरी ओर देश के कई राज्यों में दलितों पर अत्याचार और अपराध के मामले भी बढ़े हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में देश के अंदर हत्या के मामले 5.2% तक कमी हुई है। साल 2015 (32,127) के मुकाबले हत्या के मामले 2016 में 30,450 दर्ज हुए।

वहीं दंगों के मामले में भी 5% की गिरावट हुई है, जहां 2015 में 65,255 केस दर्ज हुए थे, वहीं 2016 में 61,974 मामले दर्ज किए गए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक देश में लूटपाट के मामलों में पिछले साल 11.8% की कमी हुई है, वहीं डकैती के मामले भी 4.5% तक घट गए। 2015 में डकैती के मामले 3,972 थे, लेकिन 2016 में 3,795 मामले दर्ज किए गए।

महिलाओं के खिलाफ अपराध

हालांकि साल 2015 के मुकाबले 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में बढ़ोतरी हुई है। 2015 में 3,29,243 मामले दर्ज हुए थे, वहीं साल 2016 में यह बढ़कर 3,38,954 हो गए। देश में बलात्कार के मामले 2015 (34,651) के मुकाबले 12.4% बढ़कर 2016 में 38,947 दर्ज किए गए।

दलितों के खिलाफ अपराध

मौजूदा सरकार में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ अत्याचार और अपराध के मामलों में पिछले साल बढ़ोतरी हुई। 2016 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार/अपराध की संख्या 5.5% बढ़कर 40,801 हो गई, जबकि 2015 में इसकी संख्या 38,670 थी।

वहीं अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ भी अपराध के मामलों में 4.7% की बढ़ोतरी आई है। साल 2015 (6,276) के मुकाबले यह बढ़कर 6,568 हो गई।

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रिपोर्ट के मुताबिक कुल दर्ज 48,31,515 अपराधों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 29,75,711 मामले और विशेष एवं स्थानीय कानूनों के तहत 18,55,804 मामले साल 2016 में दर्ज किए गए, जो कि साल 2015 के मुकाबले कुल अपराधों का 2.6% ज्यादा है।

राज्यों की स्थिति

राज्यों में उत्तर प्रदेश पिछले साल हत्या के दर्ज मामलों में सबसे अव्वल स्थान पर आया है। देश के हत्या के कुल दर्ज मामलों का 16.1% (4,889) यूपी में दर्ज हुए, वहीं दूसरे नंबर पर बिहार, 2,281 (8.4%) का स्थान है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में भी यूपी सबसे ऊपर है, जहां कुल दर्ज अपराध का 14.5% (49,262) मामला 2016 में दर्ज किया गया। इसके बाद पश्चिम बंगाल में कुल अपराध के (9.6%) 32,513 मामले दर्ज किए गए।

वहीं रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश 4,882 (12.5%) और उत्तर प्रदेश 4,816 (12.4%) में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। उसके बाद महाराष्ट्र 4,189 (10.7%) का स्थान तीसरे नंबर पर है। बता दें कि इन तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकारें हैं।

साल 2016 में विभिन्न अपराधों के लिए कुल 37,37,870 लोगों को पूरे देश से गिरफ्तार किया गया, जबकि 32,71,262 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। 7,94,616 लोगों को दोषी पाया गया और 11,48,824 लोगों को छोड़ दिया गया।

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