logo-image

नवीन पटनायक ने सरकार के 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की पहल का किया समर्थन, कही यह बात

उन्होंने कहा कि,

Updated on: 19 Jun 2019, 05:41 PM

नई दिल्ली:

ओडिशा के सीएम और बीजद प्रमुख, नवीन पटनायक ने  अपना एक ताजा बयान में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का समर्थन करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि, "हमारी पार्टी 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के विचार का समर्थन करती है." बता दें देश में एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी के बाद 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (One Nation One Election) पर बहस छिड़ चुकी है. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी दलों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है जो इस वक्त जारी है.

विपक्ष के बड़े नेता नहीं पहुंचे

वहीं ममता के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने भी बैठक में नहीं शामिल होने का मन बनाया है. हालांकि, इनमें से कुछ नेता बैठक में अपने प्रतिनिधियों को भेजेंगे..

गौरतलब है कि वर्ष 2003 में भी लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है. उस समय भी केंद्र में बीजेपी (BJP) की ही सरकार थी. हालांकि विपक्ष के रुख देखते हुए नहीं लगता कि इस मसले पर सर्वसम्मति बन पाएगी. हालांकि, अब देखना है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए विपक्ष को राजी कर पाएंगे.

क्या है एक देश, एक चुनाव

'एक देश, एक चुनाव' की नीति के तहत देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है. इसके तहत पूरे देश में 5 साल में एक ही बार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होगा. इसपर केंद्र सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि देश को बार-बार पड़ने वाले आर्थिक बोझ से भी मुक्ति मिलेगी. हालांकि पूरी बहस लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए हो रही है. नगरीय निकाय चुनावों के बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है, जहां तक धन की बात है तो आजकल छात्रसंघ चुनावों में भी लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं.

पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव

अगर 'एक देश, एक चुनाव' के फैसले को मंजूरी मिलती है तो यह पहला मौका नहीं होगा जब भारत में ऐसा होगा. इससे पहले भी भारत में कई बार एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इससे पहले इससे पहले 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो चुके हैं.

इंडोनेशिया में भी इसी साल हुए साथ-साथ चुनाव

वर्ष 2019 में इंडोनेशिया में भी राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव एक साथ कराए गए थे. इसके लिए 17 हजार द्वीपों पर 8 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे.