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Hanging History : आजाद भारत में नाथूराम गोडसे को पहली और याकूब मेमन को मिली आखिरी फांसी

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्या मामले के चार दोषियों को चंद घंटे बाद ही फांसी पर लटका दिया जाएगा. आजाद भारत में फांसी की सजा दिए जाने के इतिहास पर गौर करें तो पहली फांसी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को दी गई थी.

Updated on: 20 Mar 2020, 05:21 AM

New Delhi:

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्या मामले (Nirbhaya gang rape and murder case) के चार दोषियों को चंद घंटे बाद ही फांसी पर लटका दिया जाएगा. आजाद भारत में फांसी की सजा दिए जाने के इतिहास (Hanging History) पर गौर करें तो पहली फांसी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father of the Nation Mahatma Gandhi) के हत्यारे नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) को दी गई थी. वहीं आखिरी फांसी की सजा मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन (Yakub Memon) को मिली, जो स्वतंत्र भारत की 57वीं फांसी थी. एक अनुमान के अनुसार, भारत की विभिन्न अदालतों में हर साल लगभग 130 लोगों को मौत की सजा सुनाई जाती है. हालांकि मृत्युदंड पाए कुछ लोग ही होते हैं, जो आखिर में मौत के तख्ते तक पहुंचते हैं. 

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पिछले कुछ वर्षों में फांसी पर लटकाए गए लोगों पर नजर डालें तो धनंजय चटर्जी (14 अगस्त 2004), मुंबई हमले के आरोपी पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब (21 नवंबर 2012), संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को (नौ फरवरी 2013) और मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन (30 जुलाई 2015) को फांसी पर लटकाया गया था.
अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद भारत में सबसे पहली फांसी 15 नवंबर 1949 को गांधी के हत्यारे गोडसे को दी गई थी. इस घटनाक्रम पर नाथूराम की याचिका की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश जीडी. खोसला ने एक किताब लिखी थी. फांसी के बारे में उन्होंने कहा था, जब फांसी के लिए ले जाया जा रहा था, तब गोडसे के कदम कमजोर पड़ रहे थे. उसका व्यवहार और शारीरिक भाव-भंगिमाएं बता रही थी कि वह नर्वस और डरा हुआ है. वह इस डर से लड़ने की बहुत कोशिश कर रहा था और बार-बार अखंड भारत के नारे लगा रहा था, लेकिन उसकी अवाज में लड़खड़ाहट आने लगी थी. वहीं आखिरी बार फांसी पर झूलने वाले खतरनाक अपराधी याकूब मेमन को 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बम धमाकों के लिए दोषी ठहराया गया था. वह पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट था. मेमन की फांसी रोकने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में पहली बार रात तीन बजे सुनवाई हुई थी. हालांकि मेमन की फांसी नहीं टल सकी और उसे 30 जुलाई 2015 को फांसी पर लटका दिया गया.

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अब निर्भया के चार दोषियों विनय, मुकेश, अक्षय और पवन को शुक्रवार, 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा. दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एपी. सिंह ने आखिरी समय तक फांसी की सजा को कम कराने और मृत्युदंड में देरी के लिए कई प्रयास किए. उनके माध्यम से मौत की सजा पाए दोषियों ने दो दिन पहले ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, मगर कोई फायदा नहीं हुआ और अब दो घंटे बाद निर्भया से दरिंदगी करने वाले अपराधियों को फांसी पर लटका दिया जाएगा, जिसके बाद आजाद भारत में फांसी पाए लोगों की संख्या 61 तक पहुंच जाएगी.