logo-image

मोदी सरकार ने अपनाई लोहे से लोहे काटने की नीति, अनुच्छेद 370 से ही खत्म कर दिया अनुच्छेद 370

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्‍छेद 370 के खंड 3 में राष्‍ट्रपति को एक अधिसूचना के द्वारा अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म करने का अधिकार देने का प्रावधान है.

Updated on: 06 Aug 2019, 11:39 AM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली केंद्र सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म करने के लिए अनुच्‍छेद 370 को ही हथियार बनाया. मोदी सरकार ने इस मामले में 'लोहा ही लोहे को काटता है' की नीति अपनाई. दरअसल, विपक्ष ने सोमवार को राज्‍यसभा में सवाल उठाया कि अनुच्‍छेद 370 को हटाने के लिए संविधान में संशोधन करना जरूरी है. इस पर अमित शाह ने जवाब दिया कि अनुच्‍छेद 370 को निष्‍प्रभावी घोषित करने के लिए संविधान में संशोधन करने की बाध्‍यता नहीं है. इस प्रावधान को राष्‍ट्रपति की महज एक अधिसूचना के माध्‍यम से संशोधित किया जा सकता है.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्‍छेद 370 के खंड 3 में राष्‍ट्रपति को एक अधिसूचना के द्वारा अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म करने का अधिकार देने का प्रावधान है. इस प्रावधान में शर्त यह जोड़ी गई है कि अनुच्‍छेद 370 में बदलाव से पहले राज्‍य की विधानसभा से सहमति लेनी होगी, लेकिन जम्‍मू-कश्‍मीर में राष्‍ट्रपति शासन लागू होने के कारण इस बाध्‍यता का पालन करना जरूरी नहीं रह जाता.

किसने लिखा था कि अनुच्‍छेद 370

बताया जाता है कि अनुच्‍छेद 370 को लिखने के लिए संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने साफ इनकार कर दिया था. जिसके बाद इस धारा को तमिलनाडु के गोपालास्‍वामी आयंगर ने तैयार किया. आयंगर नेहरू के पहले कैबिनेट में बिना किसी विभाग के मंत्री थे. वह जम्‍मू-कश्‍मीर के महाराजा हरि सिंह के दीवार भी रहे थे.

एक से हुए दो

  • जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का बिल राज्‍यसभा में पास हो गया
  • पहले का नाम जम्‍मू-कश्‍मीर होगा तो दूसरे का नाम लद्दाख
  • पहले जम्‍मू-कश्‍मीर में कुल 22 जिले थे
  • अब जम्‍मू-कश्‍मीर में 20 जिले रह गए हैं
  • अब जम्‍मू-कश्‍मीर का क्षेत्रफल 1,63,040 वर्ग किलोमीटर होगा
  • लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में लद्दाख और कारगिल दो जिले होंगे
  • अब लद्दाख का क्षेत्रफल 59,196 वर्ग किलोमीटर होगा