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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: नागेश्वर राव अवमानना मामले में दोषी, 1 लाख का जुर्माना, निकले कोर्ट के बाहर

AG की दलीलों से चीफ जस्टिस सहमत नहीं. CJI ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- एम नागेश्‍वर राव को कोर्ट के आदेश की जानकारी थी.

Updated on: 12 Feb 2019, 04:41 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी पाते हुए उन्हें सजा सुनाई है. कोर्ट राव के माफीनामे से संतुष्ट नहीं हुआ और उन्हें सजा सुनाई. नागेश्वर राव को कोर्ट के उठने तक वहीं कोने में बैठने को कहा. साढे 4.30 के करीब में नागेश्वर राव कोर्ट से निकले. हालांकि एम नागेश्वर राव की अभी तक कोर्ट रूम में रुकने की वजह और भी थी. करीब 3.40 बजे सीबीआई की ओर से पेश अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस से उन्हें कोर्ट रूम छोड़ने की इजाजत मांगी, तो चीफ जस्टिस नाराज हो गए थे. नाराज़ चीफ जस्टिस ने कहा, 'ये क्या है, क्या आप चाहते है कि हम इन्हें कल तक कोर्ट रूम में बैठने की सज़ा सुनाए. जाइये, वहीं बैठिए, जहां अभी तक बैठे थे.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच कर रहे जॉइंट डायरेक्टर एके शर्मा की CRPF में नियुक्ति से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट के तलब करने पर CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव पहुंचे. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की कोर्ट में वो पेश हुए. हालांकि राव ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है. सीबीआई की ओर से पेश अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि नागेश्वर राव ने अपनी ग़लती माना है, पर ये जानबूझकर नहीं किया गया था. चीफ जस्टिस की बेंच लंच के लिए उठ चुकी है, लेकिन सीबीआई के  पूर्व अंतरिम डायरेक्टर एम नागेश्वर राव अभी भी कोर्ट की विजटिंग गैलरी में बैठे हुए है. उन्हें चीफ जस्टिस ने अदालत की अवमानना के तौर पर कोर्ट का काम ख़त्म होने तक कोर्ट रूम में बैठे रहने की सज़ा सुनाई है.

इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, फ़ाइल नोटिग्स से साफ है कि नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी थी. (बिना कोर्ट की अनुमति के जांच से जुड़े किसी अधिकारी के ट्रांसफर न करने की) चीफ जस्टिस ने ट्रांसफ़र प्रकिया की तेजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर एक अंतरिम डायरेक्टर ( नागेश्वर राव) फैसला नहीं लेता, तो क्या आसमान गिर जाता.

AG की दलीलों से चीफ जस्टिस सहमत नहीं. CJI ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- एम नागेश्‍वर राव को कोर्ट के आदेश की जानकारी थी. दो हफ्ते तक कोर्ट को जानकारी नहीं दी गई. अगर राव उस दिन ट्रांसफर के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं करते, अगर फैसला लेने से पहले कोर्ट को इसकी जानकारी दे दी जाती तो क्या आसमान गिर पड़ता. चीफ जस्टिस ने संकेत दिये कि वो राव की माफ़ी को नहीं स्वीकार कर रहे. वो राव को अवमानना का दोषी करार देने वाले हैं.

CJI ने AG वेणुगोपाल से पूछा कि अगर हम नागेश्वर राव को दोषी करार देते हैं तो क्‍या आप सजा को लेकर जिरह करेंगे? इस पर AG वेणुगोपाल ने कहा- जब तक कोर्ट ये तय न कर ले कि नागेश्वर राव ने ये जानबूझकर कर किया, उन्हें दोषी नहीं करार दिया जाना चाहिए. राव ने गलती की, पर ये जानबूझकर नहीं हुआ. CJI ने कहा, पिछले बीस सालों में मैंने अवमानना का किसी को दोषी करार नही दिया, पर कोर्ट की गरिमा कायम रखना ज़रूरी है.

चीफ जस्टिस ने राव को कहा कि आज उन्हें सजा के तौर पर दिन भर कोर्ट रूप में ही रहना होगा. उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट नहीं उठ जाती, आप कोर्ट के एक कोने में बैठे रहेंगे.