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इस बार थोड़ा लेट रहेगा मानसून, 6 जून तक पहुंचेगा केरल

आमतौर पर मई के आखिरी हफ्ते यानी 30 मई तक मानसूनी बारिश शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार ये 5 दिन लेट हो सकता है.

Updated on: 15 May 2019, 12:51 PM

highlights

इस साल मॉनसून की पहली बारिश 18-19 मई तक अंडमान में होने की उम्मीद है.
आमतौर पर मई के आखिरी हफ्ते तक मानसूनी बारिश शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार ये 5 दिन लेट है.
मॉनसून सामान्य और अच्छा रहने से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, जिससे मांग में भी तेजी आती है.

नई दिल्ली.:

भारतीय मौसम विभाग का कहना है इस साल मॉनसून की पहली बारिश 18-19 मई तक अंडमान में होने की उम्मीद है. वहीं, केरल में यह 6 जून को दस्तक दे सकता है. आमतौर पर मई के आखिरी हफ्ते यानी 30 मई तक मानसूनी बारिश शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार ये 5 दिन लेट हो सकता है. आपको बता दें कि मंगलवार को स्काईमेट के पूर्वानुमानों के मुताबिक, इस साल मॉनसून पर अलनीनो का असर पड़ सकता है. इस साल मॉनसून सामान्य का 93 फीसदी रह सकता है. स्काइमेट का अनुमान है कि ये 4 जून को केरल पहुंच सकता है. वहीं, 22 मई को मानसून अंडमान निकोबार पहुंचेगा.

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6 जून को केरल पहुंचेगा मॉनसून
भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि इस साल मॉनसून 18-19 मई को अंडमान पहुंच सकता है. वहीं, ये 6 जून को केरल पहुंचेगा. इससे पहले भारत के मौसम विभाग ने कहा था कि अल नीनो की स्थिति कमजोर बनी हुई है. इसके आगे बढ़ने की संभावना बहुत कम नज़र आ रही है. अगले कुछ महीनों में ये और कमजोर हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो देश के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि मॉनसूनी बारिश का सीधा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.

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अर्थव्यवस्था पर मॉनसून का असर
मॉनसून का सीधा असर ग्रामीण आबादी पर पड़ता है. मॉनसून सामान्य और अच्छा रहने से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, जिससे मांग में भी तेजी आती है. ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से इंडस्ट्री को भी फायदा मिलता है. वहीं, कमजोर रहने पर इसका उलटा असर होता है.

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औसत बारिश के आंकड़े
1951-2000 की बात करें तो देश में बारिश का लॉन्ग पीरियड औसत 89cm रहा है. इससे पहले मौसम के बारे में जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट का अनुमान दिया है कि जून से सितंबर के दौरान सीजन में सामान्य की 93 फीसदी बारिश होगी. हालांकि एजेंसियां यह मानकर चलती हैं कि इसमें थोड़ा बहुत बदलाव आ सकता है. 5 फीसदी ज्यादा या कम हो सकता है.