राष्ट्रवाद की जगह राष्ट्रीय या राष्ट्र शब्द का हो इस्तेमाल, मोहन भागवत का बयान
दरअसल मोहन भागवत झारखंड की राजधानी रांची में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने ये बात कही
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के अध्यक्ष मोहन भागवत का कहना है कि देश में राष्ट्रवाद की जगह राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों का इस्तेमाल होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रवाद का मतलब नाजी या हिटलर भी निकाला जा सकता है. दरअसल मोहन भागवत झारखंड की राजधानी रांची में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने ये बात कही. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा, दुनिया के सामने इस वक्त ISIS, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे सबसे बड़ी चुनौती है.
कार्यक्रम में मोहन भागवत ने ये भी कहा कि विकसित देश अपने व्यापार को हर देश में फैलाना चाहते हैं. इसके जरिए वो अपनी शर्तों को मनवाना चाहते हैं.
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बता दें, इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने स्तंभकारों के एक समूह से कहा था कि खुलापन हिन्दुओं (Hindus) की विशेषता है और इसे बचाये रखा जाना चाहिए.भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज को जागृत होना चाहिए, लेकिन किसी के विरूद्ध नहीं होना चाहिए. भागवत ने दिल्ली के छत्तरपुर इलाकों में देशभर के 70 स्तंभकारों से बंद कमरे में संवाद किया और आरएसएस के बारे में फैलायी जा रही गलत धारणा को लेकर चर्चा की. आरएसएस प्रमुख के साथ बैठक में मौजूद कुछ स्तंभकारों ने इस संवाद को सार्थक बताया जिसमें विविध विषयों पर व्यापक चर्चा हुई.
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एक स्तंभकार के अनुसार, भागवत ने कहा, 'खुलापन हिन्दुओं की विशेषता है और इसे बचाये रखा जाना चाहिए.' भागवत ने हिन्दुओं को जागृत एवं सतर्क रहने पर जोर देते हुए कहा कि जब तक हिन्दू संगठित एवं सतर्क है, उसे कोई खतरा नहीं है. स्तंभकार के अनुसार सरसंघचालक ने कहा, 'हिन्दुओं को जागृत रहना है लेकिन किसी के विरूद्ध नहीं. उन्हें प्रतिक्रियावादी होने की जरूरत नहीं. हम किसी का वर्गीकरण नहीं करते हैं. हम किसी पर संदेह नहीं करते हैं.' नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और इसके खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर भागवत ने कहा कि किसी भी कानून को नापसंद किया जा सकता है और उसमें बदलाव की मांग की जा सकती है, लेकिन इसके नाम पर न तो बसें जलाई जा सकती हैं और न ही सार्वजनिक संपत्ति को बर्बाद किया जा सकता है.
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