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मोहन भागवत से मौलाना अरशद मदनी की मुलाकात से सियासी हलचल तेज, कयासबाजी शुरू

मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से अचानक हुई मुलाकात ने देश की सियासी हलचल को बढ़ा दिया है. यह मुलाकात संघ के दिल्ली स्थित कार्यालय केशव कुंज में हुई.

Updated on: 31 Aug 2019, 06:45 PM

highlights

  • दिल्ली स्थित आरएसएस कार्यालय केशव कुंज में हुई मदनी-भागवत की मुलाकात.
  • मुलाकात होनी थी आधा घंटा, लेकिन बंद कमरे में डेढ़ घंटे बतियाए दोनों नेता.
  • इस मुलाकात के बाद राम मंदिर मसले पर देश में सियासी हलचल और कयासबाजी तेज.

नई दिल्ली.:

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की चल रही नियमित सुनवाई समेत जम्मू-कश्मीर और कथित गोहत्या के नाम पर होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बीच देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से अचानक हुई मुलाकात ने देश की सियासी हलचल को बढ़ा दिया है. यह मुलाकात संघ के दिल्ली स्थित कार्यालय केशव कुंज में हुई, जो तकरीबन डेढ़ घंटे चली. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अब तक के इतिहास में पहली बार है जब जमीयत के किसी अध्यक्ष ने आरएसएस कार्यालय की चौखट लांघी है.

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आधे घंटे की मुलाकात डेढ़ घंटे चली
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रारंभिक तौर पर यह मुलाकात महज आधे घंटे चलनी थी, लेकिन बंद कमरे में शुरू हुई बातचीत का यह सिलसिला डेढ़ घंटे तक यानी रात 12 बजे तक खिंचा. मौलाना अरशद मदनी शुक्रवार की रात दस बजे केशव कुंज पहुंचे थे. इस दौरान क्या बातें हुई हैं वह अभी तक सामने नहीं आ सकी हैं, लेकिन जमीयत की ओर कहा जा रहा है कि बातचीत मौजूदा सियासी हालात को लेकर बातचीत हुई है. हालांकि सूत्रों की मानें तो मौलाना अरशद मदनी की संघ प्रमुख भागवत से मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और आरएसएस के सहसंपर्क प्रमुख रामलाल ने कराई है.

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मुलाकात से सियासी हलचल तेज
मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद और मौजूदा समय में राममंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई के बीच मौलाना अरशद मदनी और मोहन भागवत के मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार की ओर से पांच पार्टियां सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे की पैरवी कर रही हैं. इसमें जमीयत की ओर से अरशद मदनी भी शामिल हैं. ऐसे में इस मुलाकात को अयोध्या मामले से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

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दो साल से बनी रही थी रूपरेखा
हालांकि इस ऐतिहासिक मुलाकात की विस्तृत रूपरेखा से वाकिफ सूत्र के मुताबिक मौलाना अरशद मदनी की संघ प्रमुख से मुलाकात की पटकथा दो साल पहले से लिखी जा रही थी. अरशद मदनी 2016 से संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात करने की लगातार कोशिश कर रहे थे. इस संबंध में मौलाना अरशद मदनी कई बार अपनी इच्छा जाहिर कर चुके थे. ऐसे में जमीयत उलमा-ए-हिंद के पदाधिकारियों ने संघ नेता रामलाल से संपर्क साधा. इसके बाद मौलाना अरशद मदनी के बेहद खास एक मौलाना ने रामलाल से जाकर मुलाकात भी की. यह अलग बात है कि संभावित बैठक आकार नहीं ले सकी.

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इसके पहले असद मदनी और सुदर्शन की हुई थी मुलाकात
इस बीच नरेंद्र मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने की कोशिशों को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एक बार फिर से तेज कर दिया गया था. बीजेपी के संघ में दोबारा वापसी करने के बाद रामलाल की आरएसएस में पकड़ मजबूत हुई है. रामलाल की कोशिशों के चलते मौलाना अरशद मदनी की संघ प्रमुख से मुलाकात को अमली जामा पहनाया जा सका है. अरशद मदनी से पहले जमीयत के अध्यक्ष रहे मौलाना असद मदनी ने संघ के तत्कालीन अध्यक्ष के सुदर्शन से दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में मुलाकात की थी.

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जल्द सामने आएंगे निहितार्थ
यहां यह भी कतई नहीं भूलना चाहिए कि मौलाना असद मदनी के निधन के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद दो गुटों में बट गया है. इसमें एक गुट की कमान मौलाना अरशद मदनी के हाथों में तो दूसरे की कमान महमूद मदनी के हाथों में है. संघ प्रमुख से मुलाकत करने वाला जमीयत उलेमा-ए-हिंद अरशद मदनी गुट का है. माना जा रहा है कि देश के विद्यमान हालातों के बीच मौलाना अरशद मदनी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इस मुलाकात के गहरे निहितार्थ हैं, जिनका रंग आने वाले समय में ही देखने को मिलेगा.