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मोदी सरकार का महिला सुरक्षा पर बड़ा फैसला, देश के सभी थानों में बनेंगी महिला डेस्क

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) ने महिला की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है.

Updated on: 05 Dec 2019, 09:33 PM

नई दिल्‍ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) ने महिला की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इसके मुताबिक, देश के सभी थानों में महिला डेस्क बनाए जाएंगे. गृह मंत्रालय ने इन थानों के लिए निर्भया फंड से 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह योजना सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जाएगी.

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गृह मंत्रालय ने देश भर में थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना के लिए निर्भया कोष से 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि महिला हेल्प डेस्क, थानों को महिलाओं के लिए और अनुकूल तथा आसानी से पहुंच योग्य बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा, क्योंकि पुलिस स्टेशन जाने पर किसी भी महिला के लिए यह पहला और एकल स्थान होगा. 

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बयान में कहा गया कि मंत्रालय ने थाने में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना और इसे मजबूत करने के लिए निर्भया कोष से 100 करोड़ रुपये आवंटित करने को मंजूरी दी है. राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस कार्यक्रम को लागू करेंगे और इन हेल्प डेस्क पर महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती की जाएगी. महिला हेल्प डेस्क के अधिकारियों को महिलाओं की समस्याएं संवेदनशीलता से सुनने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

हेल्प डेस्क पर कानूनी सहायता, परामर्श, पुनर्वास और प्रशिक्षण आदि के लिए वकील, मनोवैज्ञानिक और एनजीओ जैसे विशेषज्ञों के पैनल को शामिल किया जाएगा. हैदराबाद में वेटेनरी महिला डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या के मामले के बाद उन्नाव में रेप पीड़िता को जिंदा जलाकर मारने की कोशिश के बाद देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लोगों में आक्रोश व्याप्त है. इसके बाद सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाने की मांग की जा रही है. संसद में भी इस बारे में सख्त कानून बनाने की मांग की गई.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जे चेलमेश्वर ने कहा कि जब भी सनसनीखेज अपराध होते हैं तो अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग उठती है, लेकिन व्यवस्था को और कुशलतापूर्वक ढंग से काम करने के लायक बनाना महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश पाने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि जांच, अभियोजन और समाधान से जुड़ी व्यवस्था की कार्य कुशलता में सुधार पर बहस होनी चाहिए और इस मुद्दे के विभिन्न पक्षों को सरकार और विधायिका के संज्ञान में लाया जाना चाहिए.