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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, BSNL को डूबने से बचाने के लिए MTNL का होगा विलय

वित्‍तीय संकट से जूझ रही सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के लिए केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से राहत की खबर आई है.

Updated on: 23 Oct 2019, 05:01 PM

नई दिल्ली:

वित्‍तीय संकट से जूझ रही सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के लिए केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से राहत की खबर आई है. कैबिनेट (Union Cabinet) से भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) को विलय करने की मंजूरी मिल गई है, लेकिन इसके लिए लोगों को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. 

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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravishankar Prasad) ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार की कैबिनेट में आज ये फैसला लिया गया है कि बीएसएनल और एमटीएनएल को और मजबूत करेंगे. बीएसएनल और एमटीएनएल के बारे में हमारी सरकार की सोच साफ है कि ये दोनों कंपनी सरकार की एसेट हैं. आर्मी का नेटवर्क बीएसएनल मेंटेन करता है. 

उन्होंने आगे कहा कि बीएसएनल और एमटीएनएल बंद नहीं होगा और न ही इसे बेच रहे है. 4 जी स्पेक्ट्रम के लिए करीब 4000 करोड़ रुपये बजटीय प्रावधान करेंगे. अतीत में बीएसएनएल के साथ नाइंसाफी हुई है. हम बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय की योजना पर काम कर रहे हैं. इसके लिए 38000 हजार करोड़ की संपत्ति का इस्तेमाल किया जाएगा. सरकार वीआरएस का प्लान भी ला रही है. उन्होंने आगे कहा कि हम बीएसएनल और एमटीएनएल को मर्ज करेंगे, लेकिन ये अभी नहीं होगा थोड़ा समय लगेगा.

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केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि मैं मंत्री के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी का धन्यवाद देना चाहता हूं कि बीएसएनल और एमटीएनएल को जिंदा करने के लिए पीएम ने ये फैसला लिया है. बता दें कि लंबे समय से घाटे में चल रही इन दोनों सरकारी कंपनियों के लिए यह राहत की खबर है. बीते कुछ दिनों से ऐसी खबरें आ रही थीं कि दोनों सरकारी टेलिकॉम कंपनियों को सरकार बंद करने की योजना बना रही है. हालांकि बाद में सरकार की ओर से इस खबर को सिर्फ अफवाह बताया गया.

उन्‍होंने बताया कि अगले 4 साल में 38000 करोड़ रुपये को मोनेटाइज किया जाएगा. वहीं 15 हजार करोड़ के बॉन्‍ड भी जारी किए जाएंगे. घाटे में चल रही बीएसएनएल ने 4जी स्पेक्ट्रम आबंटन को लेकर 2015 में सरकार को आवेदन दिया था और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पैकेज के बारे में मंजूरी मांगी थी जो 2009 से लंबित थी. इसके अलावा सरकार ने बताया कि दूसरी कंपनियां भी पेट्रोल-डीजल के रिटेल आउटलेट्स खोल सकेंगी.