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कोरानावायरस : प्रवासी बढ़ा सकते हैं उप्र सरकार की परेशानी

सरकार भले ही कोरोनावायरस को रोकने में जुटी है. लेकिन पूर्वांचल और अन्य जिलों में कोरोनावायरस को लेकर काफी डर देखा जा रहा है. अन्य प्रदेशों से घर लौट रहे मजदूरों की जांच की बात तो कही जा रही है, लेकिन उनकी न तो पूरी जांच हो पा रही है न ही वह हिदायत के

Updated on: 30 Mar 2020, 05:05 PM

नई दिल्ली:

सरकार भले ही कोरोनावायरस को रोकने में जुटी है. लेकिन पूर्वांचल और अन्य जिलों में कोरोनावायरस को लेकर काफी डर देखा जा रहा है. अन्य प्रदेशों से घर लौट रहे मजदूरों की जांच की बात तो कही जा रही है, लेकिन उनकी न तो पूरी जांच हो पा रही है न ही वह हिदायत के मुताबिक 14 दिन क्वोरंटीन में रह रहे हैं.

हालत यह है कि गांव में आने वाले प्रवासी मजदूरों को जांच से बचाने के लिए उनके परिजन उन्हें रिश्तोंदारियों में भेजकर मौन हो जा रहे हैं. ये लोग सरकार और समाज की परेशानी बढ़ा सकते हैं.

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पूर्वांचल के ज्यादातर हिस्से महराजगंज, कुशीनगर, गोपालगंज, देवरिया के मजदूर दिल्ली समेत अन्य महानगरों में मजदूरी के लिए जाते हैं. अभी कोरोना के बढ़ते प्रकोप से व जल्दबाजी में लौट रहे हैं, लेकिन वे किसी भी जांच से बच रहे हैं.

देवरिया के भटपारानी के एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि "अभी हमारे गांव में एक ताजा मामला सामने आया है. यहां पर दो दिन पहले दिल्ली से लौटे एक मजदूर के बेटे को हमारे यहां उसके ननिहाल भेज दिया है. उसकी जांच नहीं हुई है, अगर यह संक्रमित हुआ तो पूरा गांव इसकी चपेट में आ जाएगा. इसके लिए हमने प्रशासन से बात भी की है."

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कुशीनगर में भी ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें बाहर से लौटे लोग प्रशासन की हिदायत के बावजूद कोई गाइडलाइन नहीं मान रहे हैं. वे पूरे गांव में घूम रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस साल एक मार्च के बाद उप्र आए हर नागरिक की निगरानी व हेल्थ चेकअप की बात कही है. उन्होंने अपनी कार्ययोजना में कहा है कि "पहले जिला मुख्यालय पर जिला प्रशासन का जिम्मेदार अधिकारी रिसीव करेगा. उनके खाने-पीने की व्यवस्था करेगा. साथ ही तत्काल सभी की मेडिकल जांच कराकर पहले 14 दिनों के लिए जिला मुख्यालय पर क्वोरंटीन किया जाए."

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दिल्ली और अन्य स्थानों से इटावा जिले के विभिन्न गांवों में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों को स्थानीय प्राथमिक विद्यालयों और जूनियर विद्यालयों में रखा जा रहा है. इन स्कूलों को क्वारंटीन सेंटर में बदल दिया गया है.

जिलाधिकारी जेबी सिंह ने बताया कि "लोग बड़ी संख्या में लौट रहे हैं, इसलिए यह निर्धारित करना मुश्किल है कि किनका परीक्षण हो गया है और किन लोगों का नहीं हुआ. इसलिए सभी ग्राम प्रधानों से ऐसे सभी लोगों की सूची मांगी गई है, जो बाहर से आए हैं. फिलहाल उन्हें क्वोरंटीन में रखा गया है, अगर उनमें कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं तो उन्हें घर भेज दिया जाएगा."

राजधानी के निकट के गांवों के जागरूक नागरिक दूसरे राज्यों से लौटे लोगों को गांव के बाहर रख रहे हैं. राजधानी के समीप गांव पुरवा, रामपुर, बस्ती में बड़ी संख्या में लोग सूरत, महाराष्ट्र दिल्ली से आए हैं. ऐसे लोगों को दूर किसी भवन में रोका गया है. मोहनलालगंज के निगोहा, नदौली उदयपुर के प्रधान खुद लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि "बाहर से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण होगा और उसके बाद उन्हें आश्रय स्थल भेज दिया जाएगा."