logo-image
ओडिशा नाव हादसे में मरने वालों की संख्या हुई सात, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी Punjab: संगरूर जेल में धारदार हथियार से हमला, दो कैदियों की मौत और 2 घायल Punjab: कांग्रेस को झटका, तेजिंदर सिंह बिट्टू ने छोड़ी पार्टी, बीजेपी में होंगे शामिल Karnataka: बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन पहले पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में कई कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल कर्नाटक: पुलिस ने कांग्रेस नेता रिजवान अरशद और रणदीप सिंह सुरजेवाला को हिरासत में लिया पंजाब में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका पूर्व सांसद संतोख सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर आज दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गईं.

दिल्ली में सड़कों पर दौड़ सकती है ये नई मेट्रो, लागत भी होगी सस्ती

इसके लिए बस एक खास कॉरिडोर बनेगा और रबड़ वाले टायर लगी मेट्रो सड़को पर दौड़ेगी.

Updated on: 19 Aug 2019, 02:59 PM

नई दिल्ली:

कलकत्ता की ट्राम से तो आप परचित ही होंगे, कुछ उसी की तर्ज पर राजधानी दिल्ली में एक खास मेट्रो चल सकती है. इसके लिए बस एक खास कॉरिडोर बनेगा और रबड़ वाले टायर लगी मेट्रो सड़को पर दौड़ेगी. ऐसी मेट्रो पहले ही कई बड़े देशों में चल रही है. रफ्तार की बात करें तो यह 60 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से चलेगी. इसे मेट्रोलाइट के नाम से जाना जाता है. इसे चलाने में 3 गुना कम 100 करोड़ रुपये प्रति किमी की लागत आएगी. इसका सुझाव केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने दिया है. दुर्गा शंकर सेक्टर-51 एक्वा लाइन और सेक्टर-52 ब्लू लाइन मेट्रो को जोड़ने वाले 300 मीटर वॉकवे का रविवार को उद्घाटन करने पहुंचे थे.

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान के चक्कर में पड़ना नासमझी, अमेरिकी थिंक टैंक की डोनाल्ड ट्रंप को सलाह

पिलर या सुरंग बनाने की नहीं होगी जरूरत

मेट्रोलाइट ट्रेन में 3 कोच होंगे. पिलर या सुरंग बनाने की इसमें जरूरत नहीं होगी. तारबंदी या दीवार बनाकर स्पेशल कॉरिडोर तैयार कर इसे दौड़ाया जा सकता है. इसमें टिकट ट्रेन के अंदर ही मिलेगा. दिल्ली के द्वारका में इसे सबसे पहले चलाने की तैयारी की जा रही है. अभी डीपीआर और अन्य प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है.

नॉलेज पार्क तक विस्तार में मददगार

नोएडा में सेक्टर-51 से ग्रेनो वेस्ट के नॉलेज पार्क तक एक्वा लाइन मेट्रो के विस्तार की योजना है. अगर पिलर वाला मेट्रो कॉरिडोर बनाया जाता है तो यहां करीब 300 करोड़ रुपये/किमी का खर्च आएगा. इसी मेट्रो को अगर भूमिगत बनाया जाएगा तो लागत 550 करोड़ रुपये/किमी तक पहुंच सकती है. नोएडा और ग्रेनो अथॉरिटी की आर्थिक स्थिति अभी खस्ताहाल है. ऐसे में इतना खर्च उठा पाना मुश्किल है. अगर मेट्रोलाइट के विकल्प पर राज्य सरकार विचार करती है तो 3 गुना कम लागत में इसे तैयार किया जा सकेगा.