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पाकिस्तान के नए दोस्त तुर्की ने दिल्ली हिंसा पर अड़ाई टांग, विदेश मंत्रालय ने लगाई फटकार

तुर्क के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने कहा कि भारत अब एक ऐसा देश बन गया है, जहां नरसंहार व्यापक रूप से हो रहा है.

Updated on: 05 Mar 2020, 05:39 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान (Pakistan) के नए-पुराने सदाबहार दोस्त चीन और तुर्की भारत के अंदरुनी मामले में टांग अड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं. कश्मीर मामले में टांग अड़ाते-अड़ाते अब दिल्ली हिंसा पर भी बयान देने से नहीं चूके. पाकिस्तान के बाद अब तुर्की भी फटे में टांग अड़ाने से बाज नहीं आ रहा है. तुर्क के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन (Recep Tayyip Erdoğan) ने कहा कि भारत अब एक ऐसा देश बन गया है, जहां नरसंहार व्यापक रूप से हो रहा है. जहां हिंदुओं के द्वारा मुसलमानों का नरसंहार किया जाता है. अंकारा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि सीएए के खिलाफ दिल्ली में हिंदू और मुस्लिमों के बीच हिंसा हुई. इस पर विदेश मंत्रालय ने जमकर फटकार लगाई.

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तुर्की के राष्ट्रपति से ऐसे बयानों की उम्मीद नहीं- रवीश कुमार

वहीं इस मामले में एर्दोआन के बयान को विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि वे तथ्यात्मक रूप से बिल्कुल गलत हैं, वे अपने खुद के राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित हैं. हम तुर्की के राष्ट्रपति से ऐसे बयानों की उम्मीद नहीं करते हैं. हमने इस पर 3 मार्च को दिल्ली में तुर्की के राजदूत के साथ बातचीत की है. तुर्की के राष्ट्रपति हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है. एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस मुद्दे को उठाकर भारत के खिलाफ बयान दिया था. इसके अलावा उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून की भी आलोचना की थी. एएफडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक कट्टर मुस्लिम, एर्दोगान, खुद को इस्लाम के रक्षक के रूप में देखता है, जो अक्सर विश्वास और उसके अनुयायियों के मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से खड़ा होता है.

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पाकिस्तान के गोद में खेल गए सीएए विरोधी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी ने हिंसा की. इस मसले पर ट्रंप ने कहा था कि यह मसला भारत का है, इसे भारत को अपने तरीके से ही निपटारा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी मजबूत नेता हैं और उसे हैंडल कर सकते हैं. सीएए विरोधी अपनी बात विश्व के सबसे ताकतवर नेता ट्रंप तक अपनी बात पहुंचाना चाहते थे. अपने मंसूबे में वो कामयाब भी रहे. लेकिन वह देखते-देखते पाकिस्तान के हाथों खेल गए. पाकिस्तान जो चाहता था, वही हुआ. हालांकि ट्रंप के द्वारा इस मसले पर उस तरह से ना बोलने को लेकर ब्रिटेन और अमेरिका के विपक्षियों नेता ने आलोचना की थी. लेकिन पाकिस्तान के बाद अब तुर्की भी भारत के अंदरुनी मसले पर बयान देने से नहीं चूक रहे हैं.