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अयोध्या: राम चबूतरा, सीता रसोई व आंगन से दावा छोड़ने को तैयार, लेकिन ये जगह चाहिए: मौलाना अरशद मदनी

देश के मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को नई दिल्ली में ये दावा किया है.

Updated on: 09 Nov 2019, 07:18 AM

नई दिल्ली:

देश के मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को नई दिल्ली में दावा किया है कि उन्होंने मध्यस्थता समिति से कहा था कि बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकार राम चबूतरा, सीता रसोई और सहन (आंगन) के हिस्से पर अपना दावा छोड़ने को तैयार है और तीन गुंबदों के नीचे की जगह मांग रहा है.

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मौलाना मदनी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मध्यस्थता की कोशिश 11-12 बार नाकाम हो चुकी थी, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए कहा तो मैं मध्यस्थता के लिए सहमत हो गया. उन्होंने आगे कहा कि मध्यस्थता का मतलब है कि सभी पक्षकार अपने-अपने रुख में थोड़ा नरमी लाएं. अगर कोई पीछे नहीं हटता है तो मध्यस्थता नहीं होगी. जमीयत प्रमुख ने कहा कि बाबरी मस्जिद में एक हिस्सा गुम्बद के नीचे का है और एक उसका सहन है, जहां राम चबूतरा और सीता रसोई है.

उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमारा झगड़ा है. हम इसे अपना हिस्सा बताते हैं और हिन्दू पक्षकार कहते हैं कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है. मदनी ने आगे कहा कि हमने कहा कि तीन गुंबदों और इसके सामने वाला हिस्सा मस्जिद के लिए छोड़ दिया जाए और गैर मुस्लिम इस पर से अपना दावा वापस लें.

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मौलाना मदनी ने आगे कहा कि हमने मध्यस्थों से कहा कि अगर वे (हिन्दू पक्षकार) पीछे हटते हैं तो हम इस बात पर गौर कर सकते हैं कि सहन के हिस्से (जिसमें राम चबूतरा और सीता रसोई) पर दावा छोड़े दें. हालांकि वह मस्जिद का हिस्सा है. लेकिन, रामलला और निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhada) एक इंच भी पीछे नहीं हटे और उनका एक ही मुद्दा था कि मुसलमान मस्जिद उन्हें दे दें. इसलिए मध्यस्थता कामयाब नहीं हुई. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या विवाद को आपसी सहमति से हल करने के लिए तीन मध्यस्थों की एक समिति गठित की थी.