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असम परिवारों में कीजिए शादी, बंगाली हिंदुओं को 'दहेज' देगी सरकार

बंगाली हिंदू दुल्हन या दूल्हा जो भी असम में अपना पार्टनर चुनेगा, असर की सरकार उसे आर्थिक सहायता देगी. युवक और युवतियों को यह सहायता राज्य भाषाई अल्पसंख्यक विकास बोर्ड की तरफ से प्रस्तावित एक योजना के तहत उपलब्ध कराई जाएगी.

Updated on: 18 Feb 2020, 11:00 AM

गुवाहाटी:

असम में रहने वाले बंगाली हिंदू दूल्हा या दुल्हन जो भी स्थानीय (असम के लोगों) में से किसी को अपना जीवनसाथी चुनता है तो उसे सरकार आर्थिक मदद करेगी. पार्टनर को 40 हजार रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी. सरकार का यह प्रयास दो समुदायों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. दूल्हा या दुल्हन को यह सहायता राज्य भाषाई अल्पसंख्यक विकास बोर्ड की ओर से प्रस्तावित एक योजना के तहत उपलब्ध कराई जाएगी.

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दरअसल असम का सामाजिक माहौल कुछ अलग है. वहां अलग समुदाय में शादी करने वाले को संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है. इसके साथ ही नवविवाहिताओं को सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ाता है. बोर्ड के चेयरमैन आलोक कुमार घोष ने बताया कि हमारी कोशिश है कि इस तरह के दंपत्तियों की आर्थिक मदद कर उन्हें आगे बढ़ाया जाए. इस तरह के दंपती की दुकान, ब्यूटी सलून खोलने के साथ ही खेती किसानी करने में भी मदद की जाए. सरकार की ओर से दो दिन पहले ही इस तरह का प्रस्ताव पेश किया गया है. सरकार ने इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक वेबसाइट भी डिजाइन कर दी गई है, जहां पर बंगाली-असमी हिंदू दंपती अपनी जानकारी ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं.

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स्टूडेंट्स यूनियन ने बताया विभाजनकारी
जहां घोष ने दावा किया कि इस पहल से खुशहाली बढ़ेगी वहीं, ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने इसे विभाजनकारी बताया और बोर्ड पर धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने का आरोप लगाया.

ऑल असम बंगाली यूथ स्टूडेंट्स फेडरेशन करेगा पहल
एक तरफ जहां सरकार इस योजना को समाज के लिए लाभकारी बता रही है तो दूसरी तरफ स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रिजौल करीम ने कहा, 'सरकार हिंदू और मुस्लिमों के बीच दरार पैदा करने के लिए कदम उठा रही है. बोर्ड का यह प्रस्ताव भी इसी का एक और उदाहरण है. धार्मिक आधार पर मदद करने के बजाए बोर्ड को किसी भी धर्म या समुदाय में शादी करने वाले बंगाली शख्स (जो कि आर्थिक रूप से अस्थिर हो) की मदद करनी चाहिए.