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जब शीला दीक्षित ने पूछा था भाई कितने वोटो से हराया, तब मनोज तिवारी ने दिया था ये जवाब

चुनाव जीतने के बाद कोई ऐसे नहीं आता है इसके बाद शीला दीक्षित ने मनोज तिवारी से पूछा कितने वोटों से हराया.

Updated on: 21 Jul 2019, 08:25 AM

highlights

  • दिल्ली BJP अध्यक्ष मनोज तिवारी जताया दुख
  • मनोज तिवारी ने शीला दीक्षित से आखिरी मुलाकात की बातें साझा की
  • लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही पहली महिला थीं शीला दीक्षित

नई दिल्ली:

दिल्ली की पूर्व सीएम और कांग्रेस की कद्दावर नेता शीला दीक्षित का शनिवार को दिल्ली में हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के एस्कार्ट्स हॉस्पिटल में दोपहर 3 बजकर 55 मिनट पर अंतिम सांस ली शीला दीक्षित पिछले काफी समय से बीमार चल रहीं थी. उनके निधन पर राष्ट्रपति कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी सहित कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है. उनके निधन पर जब दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी से बातचीत की गई तो उन्होंने शीला दीक्षित के बारे में बताते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने के बाद जब वो शीला दीक्षित से मिलने गए तो उन्होंने गजब की प्रतिक्रिया दी.

शीला दीक्षित से मिलने पहुंचे मनोज तिवारी ने सबसे पहले शीला दीक्षित के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया फिर शीला दीक्षित ने उनसे पूछा अरे तुम आए हो. चुनाव जीतने के बाद कोई ऐसे नहीं आता है इसके बाद शीला दीक्षित ने मनोज तिवारी से पूछा कितने वोटों से हराया. तब मनोज वतिवारी ने जवाब दिया- शीला दीक्षित को हराना सम्भव नहीं ये हार पार्टी, विचारधारा की हो सकती है. मनोज तिवारी ने बताया शीला जी भले ही कांग्रेस की वरिष्ठ नेता थी, लेकिन अटल जी की तारीफ से नहीं चूकती थीं. आखिरी मुलाकात में उन्होंने बताया कि कैसे वो अटल जी के पीएम रहते दिल्ली के विकास योजनाओं से जुड़ी फाइल को क्लियर करा लेती थी. बकौल मनोज तिवारी शीला जी ने उनसे एक यादगार बात कहीं थी कि हम राजनैतिक विरोधी है, एक दूसरे के विरोधी नहीं.

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शीला दीक्षित को राजधानी दिल्ली का मौजूदा मॉडिफिकेशन के लिए भी जाना जाता है साल 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान शीला दीक्षित ने दिल्ली की काया ही बदल दी थी. शीला के कार्यकाल में दिल्ली में विभिन्न विकास कार्य हुए. शीला दीक्षित केरल की गवर्नर भी रही थीं लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था साल 2017 में शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए मुख्यमंत्री की उम्मीदवार रहीं थीं, हालांकि अंतिम समय में उन्होंने अपना नाम सीएम कैंडिडेट से वापस ले लिया था.

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