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क्‍या थी वित्‍तमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की आर्थिक उदारीकरण की नीति

ऐसे में वित्‍तमंत्री के पति द्वारा राव-सिंह की जोड़ी की तारीफ विपक्ष को एक मौका दे सकता है. आइए जानें क्‍या था राव-सिंह का आर्थिक उदारीकरण...

नई दिल्‍ली:

आर्थिक मंदी (Economic slowdown) से जूझ रहे भारत को जहां विश्व बैंक (world bank) झटका दिया है वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के पति परकला प्रभाकर (P. Prabhakar) ने मनमोहन सिंह के 1991 के आर्थिक सुधारों के लिए अपनाए गए मॉडल की तारीफ कर एक नए बहस को जन्‍म दे दिया है. विश्व बैंक ने भारत की विकास दर (India growth rate) को घटाकर 6 फीसदी कर दिया है. साल 2018-19 में भारत की ग्रोथ रेट 6.9 फीसदी थी. इससे मंदी मोदी सरकार द्वारा आर्थिक मोर्चे पर सुस्‍ती से उबरने के उपायों को झटका लग सकता है. ऐसे में वित्‍तमंत्री के पति द्वारा राव-सिंह की जोड़ी की तारीफ विपक्ष को एक मौका दे सकता है. आइए जानें क्‍या था राव-सिंह का आर्थिक उदारीकरण...

1991 में कांग्रेस दुबारा सत्‍ता में लौटी तो पी.वी. नरसिम्हाराव (PV Narsimha Rao) ने प्रधानमंत्री के रूप में देश की कमान संभाली. उन्‍होंने रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को वित्‍तमंत्री बनाया. देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) काफी खराब थी. इससे उबरने के लिए एक वैकल्पिक रास्ते की जरूरत थी.

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देश की थमी हुई अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने रफ्तार देने के लिए भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोल दिया. बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने कई ऐसे नियम बदले जिसने अर्थव्यस्था की रफ्तार को रोक रखा था.

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1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव और वित्तमंत्री डॉ मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की जोड़ी ने देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को लेकर यह बड़ा फैसला किया था. पूरी दुनिया में ग्लोबलाइजेशन यानि भूमंडलीकरण का आगमन हो चुका था, मगर भारत इससे अछूता था. भारत ने तब आर्थिक उदारीकरण के जरिए इसके लिए अपने दरवाजे खोलने का फैसला किया.

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देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने ही की थी. 1991 से लेकर 1996 के बीच में 5 सालों में मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने आर्थिक सुधारों की जो रूपरेखा तैयार की, उसने भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को एक नया आयाम दिया.

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साल 1991 में मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने संसद में बजट पेश किया था, जिसने भारत के लिए आर्थिक उदारीकरण के रास्ते खोले. इस प्रस्ताव में वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश का रास्ते को खोलने का सुझाव शामि‍ल था. इसी के परिणाम स्‍वारूप सकल घरेलू उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर में बढ़ोतरी हुई.