आलोक वर्मा मामला: कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को खत लिखकर की सीवीसी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
उन्होंने सीबीआई अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई निदेशक का कार्यभार देने को 'अवैध' बताते हुए जल्द नए निदेशक की नियुक्ति करने को भी कहा है.
नई दिल्ली:
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को ख़त लिखकर पूर्व सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने को लेकर जिस सीवीसी रिपोर्ट को आधार बनाया था उसे सार्वजनिक करने की मांग की है. इतना ही नहीं उन्होंने सीबीआई अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई निदेशक का कार्यभार देने को 'अवैध' बताते हुए जल्द नए निदेशक की नियुक्ति करने को भी कहा है.
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को ख़त लिखकर पूर्व सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने को लेकर जिस सीवीसी रिपोर्ट को आधार बनाया था उसे सार्वजनिक करने की मांग की है. इतना ही नहीं उन्होंने सीबीआई अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई निदेशक का कार्यभार देने को 'अवैध' बताते हुए जल्द नए निदेशक की नियुक्ति करने को भी कहा है. खड़गे ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच रिपोर्ट और चयन समिति की मिनट्स ऑफ मीटिंग्स सार्वजनिक करने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि जस्टिस एके पटनायक की जांच रिपोर्ट और 10 जनवरी को हुई बैठक के मिनट्स को जल्द सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि जनता इस मामले में अपने निष्कर्ष निकाल सके. इसके साथ ही उन्होंने बिना किसी देरी के नए निदेशक की नियुक्ति के लिए चयन समिति की तत्काल बैठक बुलाने के लिए भी कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक दो पेज के नोट पर तीखी नोक-झोंक और सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाने के लिए कैसे कार्य किया गया, इस पर गंभीरता से सवाल उठाती है.' खड़गे ने आगे आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार की चालाकी भरी कार्रवाई अब न्यायपालिका के लिए शर्मिंदगी की वजह बन रही है.’
आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने का मामला तब तूल पकड़ने लगा जब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक (जो सुप्रीम कोर्ट के ही कहने पर सीवीसी की जांच की निगरानी कर कर रहे थे) ने बाद में बताया कि सीबीआई के निदेशक पद से हटाए गए आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं हैं और जो भी सीवीसी की रिपोर्ट कहती है वह अंतिम फैसला नहीं हो सकता.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस पटनायक ने कहा, 'भले ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्चाधिकार समिति को इसका फैसला करना चाहिए, (लेकिन) फिर भी यह फैसला बहुत जल्दबाजी में किया गया. हम यहां एक संस्था के साथ काम कर रहे हैं. उन्हें ध्यानपूर्वक इसे देखना चाहिए था. खास तौर पर तब, जब एक सुप्रीम कोर्ट का जज (जस्टिस एके सीकरी) वहां मौजूद था. सीवीसी जो कहता है, वह अंतिम शब्द नहीं हो सकता.’
बता दें कि 10 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की सदस्यता वाली चयन समिति ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया था. उनको हटाने का फैसला तीन सदस्यीय एक उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा 2-1 के बहुमत से लिया गया. समिति के फैसले से पहले प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत सदस्य न्यायमूर्ति एके सीकरी ने सरकार का पक्ष लेते हुए कहा कि उनको केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच के नतीजों के आधार पर पद से हटा दिया जाना चाहिए.
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बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति सीकरी और समिति के अन्य सदस्य के रूप में लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए, जिन्होंने बहुमत के फैसले का विरोध किया था.
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