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इन 6 चाचा पर भारी पड़े भतीजा, सियासत की विरासत की 6 कहानियां

चाचा-भतीजा: उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक चाचा-भतीजों के बीच सियासत की विरासत के लिए मच चुकी है रार..

Updated on: 24 Nov 2019, 08:56 PM

नई दिल्‍ली:

भारतीय राजनीति में यह पहली बार नहीं हो रहा कि कोई भतीजा अपने चाचा के लिए मुश्‍किलें खड़ी कर रहा हो. महाराष्‍ट्र में पवार घराने के अलावा कई और राजनीतिक घराने हैं जहां भतीजों ने चाचा के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया. वह भी तब जब चाचाओं ने अपने पुत्र या पुत्री को सियासत की विरासत सौंपनी चाही. उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक चाचा और भतीजे के बीच टकराव के कई दूसरे उदाहरण भी मौजूद हैं. आइये जानें कैसे पुत्र मोह में फंसे चाचाओं का सियासी गणित बिगाड़ने के लिए भतीजों ने बगावत का झंडा बुलंद किया.

शरद पवार Vs अजित पवार

महाराष्‍ट्र में अजित पवार ने चाचा शरद पवार को झटका देकर बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की यूं ही नहीं सोची. रिश्‍तों में खटास तो उस दिन से ही शुरू हो गई जब शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले को अजित पवार से ज्‍यादा तरजीह देने लगे. पवार के घर पावर की लड़ाई 23 नवंबर को सतह पर आ गई जब भतीजे अजित पवार ने चाचा शरद पवार के निर्णय को ठुकराते हुए महाराष्‍ट्र के उप मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले ली.

शरद पवार की एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्‍ट्र में साझा सरकार बनाने जा रही थी लेकिन अजित पवार ने खेल बिगाड़ दिया. शाम होते-होते चाचा ने भी अजित पवार से विधायक दल के नेता पद से हटा दिया. अब महाराष्‍ट्र में फड़नवीस सरकार बचेगी या जाएगी, यह कुछ दिनों में तय हो जाएगा. लेकिन पवार का कुनबा बिखर चुका है, ये बात खुद सुप्रिया सुले ने अजित पवार की बगावत के बाद स्‍वीकार कर चुकी हैं.

वसंतदादा पाटिल Vs शरद पवार

अजित पवार ने वही किया जो उनके चाचा शरद पवार ने अपने चाचा वसंतदादा पाटिल के साथ 41 साल पहले किया था. इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव का असर महाराष्‍ट्र के विधानसभा चुनावों पर भी पड़ा. उससे पहले ही मुख्यमंत्री शंकर राव चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया था और शरद पवार के चाचा वसंतदादा पाटिल सीएम बने. वसंतदादा पाटिल सीएम बने. एक महीने बाद राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस (एस) ने 69 सीटों और कांग्रेस (आई) ने 65 सीटों पर जीत दर्ज की. जनता पार्टी ने 99 सीटें जीतीं. कांग्रेस के दोनों धड़ों ने मिलकर कांग्रेस (एस) के वसंतदादा पाटिल के नेतृत्व में सरकार का गठन किया, जिसमें कांग्रेस (आई) के नासिकराव तिरपुदे उप मुख्यमंत्री बने.

कांग्रेस के दोनों धड़ों के बीच टकराव के चलते सरकार चलाना कठिन हो गया था. शरद पवार (Sharad Pawar) ने सरकार छोड़ने का निर्णय लिया. जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के साथ उनके संबंधों के कारण उन्हें काफी सहयोग मिला. शरद पवार ने कांग्रेस के 38 विधायकों के साथ मिलकर नई सरकार बनाई . शरद पवार (Sharad Pawar) तब 38 वर्ष की उम्र में राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे.


बाला साहब Vs राज ठाकरे

तीसरा उदाहरण भी महाराष्‍ट्र से ही है. उद्धव ठाकरे से पहले बाला साहब ठाकरे की राजनीतिक विरासत के वारिस के तौर पर राज ठाकरे को देखता था. शिवसेना और शिवसैनिकों में बाला साहब के बाद सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय राज ठाकरे ही थे. उद्धव की छवि शांत और उलझे हुए शख्‍स के रूप में थी, जबकि राज ठाकरे के तवर अपने चाचा की तरह ही थे. चाचा-भतीजे में टकराव तब शुरू हुआ जब बाला साहब ने राज ठाकरे के बजाय अपने बेटे उद्धव ठाकरे को आगे लाने लगे. ठाकरे परिवार की राजनीतिक विरासत उद्धव के हाथ में जाते देख राज ठाकरे बागी हो गए. मार्च 2006 में राज ने शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम से अलग पार्टी बना ली.

शिवपाल यादव Vs अखिलेश यादव

चौथा उदाहरण उत्‍तर प्रदेश से है. उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को खड़ा करने में संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने बड़ी भूमिका निभाई थी. गांव-गांव साइकिल चलाकर संगठन को खड़ा किया और जब बात सियासत की विरासत को सौंपने की हुई तो मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश यादव को तरजीह दिया. 2012 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को सपा का चेहरा बनाया. भतीजे अखिलेश को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली तो चाचा से टकराव भी शुरू हो गया. रिश्‍ते तल्‍ख होते गए और 2017 आते-आते दोनों ही एक दूसरे को बाहर दिखाने का रास्ता तलाशने लगे. अंत में करीब एक महीने चले नाटक के बाद भतीजे ने चाचा को पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया.

अभय चौटाला Vs दुष्यंत चौटाला

2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला राजनीति में आए तो उनकी अपने चाचा अभय के साथ टकराव शुरू हुआ और पार्टी पर कब्जे पर लड़ाई शुरू हुई. हरियाणा में भतीजे दुष्यंत चौटाला ने चाचा अभय चौटाला को चित्त कर दिया. 2013 में ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला 10 साल के लिए जेल चले गए. पार्टी की कमान अभय के हाथ में आ गई. अभय खुद को सीएम पद का दावेदार मानने लगे. लेकिन दिसंबर 2018 में परिवार में कुनबा बिखर गया और भतीजा दुष्यंत अलग जननायक पार्टी बनाकर अब बीजेपी की सरकार में उपमुख्‍यमंत्री है.

प्रकाश बादल Vs मनप्रीत बादल

चाचा प्रकाश सिंह बादल बेटे सुखबीर सिंह बादल का राजनीतिक करियर बनाने की कोशिश में जुटे तो भतीजे मनप्रीत को यह रास नहीं आया. मनप्रीत ने बगावत कर पंजाब पीपुल्स पार्टी नाम से अलग पार्टी बना ली. 2016 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया. इसके बाद 2017 में पंजाब में कांग्रेस ने सरकार बना ली और चाचा देखते रह गए.