महाराष्ट्र सीएम के इस्तीफे के बाद राज्यपाल बीएस कोशियारी उठा सकते हैं यह कदम, जानें क्या हैं ये
बीजेपी और शिवसेना ने अपने मतभेदों को दूर नहीं किया, तो सूबे के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी को अपने पास उपलब्ध संवैधानिक विकल्पों में से ही किसी एक को अपनाना होगा. सुभाष सी कश्यप के मुताबिक राज्यपाल के पास निम्न विकल्प हैं...
highlights
- महाराष्ट्र में राज्यपाल बीएस कोशियारी पर आ सकती है बड़ी जिम्मेदारी.
- संविधान के तहत उनके पास उपलब्ध होंगे चार विकल्प आगे बढ़ने के लिए.
- बीजेपी और शिवसेना अपने-अपने पक्ष से हिलने को तैयार नहीं.
Mumbai:
महाराष्ट्र में वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद सियासी समीकरण पेचीदा हो गए हैं. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि नितिन गडकरी के मुंबई पहुंचने से नए रास्ते खुलने की संभावना बढ़ गई है. इस नए रास्ते को और बल प्रदान कर रहा था शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का अपने विधायकों को दिया गया वह आश्वासन कि शिवसेना बीजेपी से संबंध नहीं तोड़ना चाहती है, लेकिन बीजेपी को ही अब निर्णय करना है. हालांकि अब इस मामले में राज्यपाल की भूमिका और उनके पास उपलब्ध विकल्प पर चर्चा हो रही है.
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राज्यपाल के पास उपलब्ध विकल्प
संविधान विशेषज्ञ सुभाष सी कश्यप की मानें तो महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध कायम है. वह भी तब जब वर्तमान विधानसभा की अवधि शनिवार को पूरी हो रही है. अगर समय रहते बीजेपी और शिवसेना ने अपने मतभेदों को दूर नहीं किया, तो सूबे के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी को अपने पास उपलब्ध संवैधानिक विकल्पों में से ही किसी एक को अपनाना होगा. सुभाष सी कश्यप के मुताबिक राज्यपाल के पास निम्न विकल्प हैं...
- राज्यपाल बीएस कोशियारी मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने के लिए कह सकते हैं. खासकर जब तक राज्य को नया मुख्यमंत्री नहीं मिल जाता है. संविधान के तहत यह कतई जरूरी नहीं है कि मुख्यमंत्री का कार्यकाल विधानसभा के साथ ही खत्म हो जाए.
- राज्यपाल बीएस कोशियारी विधानसभा चुनाव के बाद उभरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता को सीएम नियुक्त कर सकते हैं. फिलहाल स्थितियों में बीजेपी के पास 105 विधायक है. बड़ी पार्टी के नेता के सीएम को सदन में बहुमत साबित करना होगा. भले ही वह बाद में फ्लोर टेस्ट में फेल हो जाए.
- राज्यपाल बीएस कोशियारी असेंबली से फ्लोर पर अपने नेता का चुनाव करने के लिए कह सकते हैं. अगर कोई विवाद सामने आता है तो उसके लिए बैलट पेपर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका आधार सुप्रीम कोर्ट का ही फैसले बनेगा. 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में नए मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल और हटाए गए उनके पूर्ववर्ती कल्याण सिंह के बीच फैसला करने के लिए वोट करने को कहा था.
- अगर कोई भी पर्याप्त संख्याबल के साथ सरकार बनाने का दावा नहीं करता है और पहले तीन विकल्प फेल हो जाते हैं तो गतिरोध को खत्म करने के लिए राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं. इस स्थिति में प्रदेश के विधायी कामकाज की बागडोर केंद्र के हाथ में होगी.
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महाराष्ट्र में हालिया सूरत-ए-हाल
शिवसेना ने गुरुवार को बैठक के बाद सरकार गठन पर अंतिम निर्णय के लिए उद्धव ठाकरे को अधिकृत किया है. बैठक में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा हुई और विधायकों ने दोहराया कि लोकसभा चुनावों से पहले पदों एवं जिम्मेदारियों की समान साझेदारी के जिस फॉर्मूले पर सहमति बनी थी उसे लागू किया जाए. इसी आधार पर शिवसेना जहां मुख्यमंत्री पद को साझा करने पर जोर दे रही है वहीं बीजेपी ने इससे साफ इंकार कर दिया है. बीजेपी और शिवसेना मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर उलझी हुई है, जिससे 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में गठबंधन को 161 सीट मिलने के बावजूद सरकार गठन को लेकर गतिरोध कायम है. 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनावों में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं.
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