अयोध्या में मंदिर वहीं बनेगा, जहां रामलला विराजमान- महंत नृत्य गोपाल दास
उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर का भूमि पूजन और शिलापूजन तो पहले ही हो चुका है और केवल शिलाएं रखी जानी जानी है.
ग्वालियर:
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर पहुंचे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रबंध महंत नृत्य गोपाल दास ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण वहीं होगा, जहां रामलला विराजमान हैं और यह मंदिर उसी मॉडल पर बनेगा, जो पहले से दिखाया गया है. दास ने पत्रकारों से कहा कि अयोध्या (Ayodhya) में जल्दी ही भव्य और दिव्य राम मंदिर का निर्माण होगा. इसके लिए दिल्ली में धर्माचार्यों की बैठक हो चुकी है और जल्दी ही एक बैठक अयोध्या में होगी, जिसमें मंदिर निर्माण की तिथि तय की जाएगी.
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उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर का भूमि पूजन और शिलापूजन तो पहले ही हो चुका है और केवल शिलाएं रखी जानी जानी है. दास ने बताया कि जिस स्थान पर अयोध्या में रामलला विराजमान हैं, वहीं पर मंदिर बनेगा और यह काम छह महीने के भीतर शुरु हो जाएगा. मंदिर निर्माण के बारे में उन्होंने बताया कि जो मॉडल पहले अयोध्या में रखा गया है, उसी के अनुसार राम मंदिर का निर्माण होगा. थोड़ा बहुत परिवर्तन हो सकता है. राम मंदिर ट्रस्ट में कई संतों को नहीं लिए जाने के विवाद पर दास ने कहा, 'कोई विवाद नहीं है. चूंकि संतों की संख्या बहुत ज्यादा है, इसलिए हर किसी को स्थान नहीं दिया जा सकता. इसके साथ जल्दी ही अयोध्या में सभी संतों के अखाड़ों के साथ बैठक होगी.'
जब उनसे सवाल किया गया कि मंदिर निर्माण के लिए धन कहां से आएगा, तो इस पर उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए न तो चंदा लिया जाएगा और न ही सरकार से धन मांगेगे. जो भी भगवान के भक्त सहयोग करेंगे, उसी से मंदिर का निर्माण होगा. दास ने स्पष्ट किया कि सरकार के पास वैसे ही बहुत समस्याएं हैं और वह जनता के काम करेगी. मंदिर निर्माण की लागत और बजट के बारे में उन्होंने कहा कि इसके लिए जल्द ही अयोध्या में बैठक होगी.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा ट्रस्ट गठन पर सवाल उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा, 'मंदिर निर्माण में न तो भाजपा से मतलब है और न ही किसी अन्य राजनीतिक दल से. यह सब राजनीति की बातें हैं.' उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए अय़ोध्या में प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ हर उसको आमंत्रित करेंगे, जिसकी धर्म में रूचि होगी. इसमें पूरा देश और नेता शामिल हैं.
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