युवाओं को गलत दिशा में ले जाने वाले नेता नहीं, जनरल बिपिन रावत की नेताओं को कड़ी नसीहत
जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'नेता वह नहीं हैं, जो लोगों को गलत दिशा की ओर लेकर जाएं. जैसा हम आज बड़े पैमाने पर देख रहे हैं.'
highlights
- युवाओं को हिंसा का गलत रास्ता दिखाने वाला नेतृत्व सही नहीं.
- सही नेतृत्व युवाओं और आम लोगों को सही रास्ता दिखाता है.
- हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में सरहद पर तैनात जवानों को किया याद.
नई दिल्ली:
आमतौर पर भारतीय सेना खुद को राजनीति से बेहद दूर रखती है. 'वन रैंक-वन पेंशन' जैसे मसले पर भी भारतीय सशस्त्र सेना की ओर से कोई बयान नहीं आया था. हालांकि ऐसा लग रहा है कि CAA और NPR पर देश में जिस तरह का माहौल है उससे थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत भी इत्तेफाक नहीं रखते हैं. संभवतः तभी उन्होंने गुरुवार को देश के नेताओं को सही नेतृत्व की परिभाषा नए सिरे से सिखाई है. उन्होंने बगैर लाग-लपेट के कहा है कि युवाओं और आम लोगों को जिस तरह से हिंसा के रास्ते पर ढकेला जा रहा है, वह किसी भी लिहाज से सही और सकारात्मक नेतृत्व नहीं है.
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#WATCH Army Chief Gen Bipin Rawat: Leaders are not those who lead ppl in inappropriate direction. As we are witnessing in large number of universities&colleges,students the way they are leading masses&crowds to carry out arson&violence in cities & towns. This is not leadership. pic.twitter.com/iIM6fwntSC
— ANI (@ANI) December 26, 2019
हिंसा का रास्ता गलत
एक कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'नेता वह नहीं हैं, जो लोगों को गलत दिशा की ओर लेकर जाएं. जैसा हम आज बड़े पैमाने पर देख रहे हैं. देश के कॉलेज, यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं समेत आम लोगों को शहरों में हिंसा फैलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इनमें कुछ विद्यार्थी भी शामिल हैं. हकीकत में यह सही नेतृत्व नहीं है.' माना जा रहा है कि थल सेना अध्यक्ष सीएए समेत एनसीआर और अब एनपीआर पर फैलाए जा रहे भ्रम और झूठ से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. ऐसे में वह युवाओं को सही रास्ते पर प्रेरित करने का आह्वान नेताओें से कर रहे हैं. हालांकि जनरल रावत ने पक्ष-विपक्ष समेत किसी नेता का साफतौर पर कोई नाम नहीं लिया है.
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सरहद पर तैनात जवानों को नमन
इसके साथ ही उन्होंने हाड़ कंपा देने वाली सर्दियों में सरहदों की रक्षा में तैनात भारतीय जवानों को भी नमन किया और अनूठे ढंग से आम लोगों को उनके योगदान से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हम जिस वक्त खुद को सर्दी से बचाने के लिए खुद को गर्म कपड़ों से लैस कर रहे हैं, तो मैं उन भारतीय जवानों का खासतौर पर जिक्र करना चाहूंगा, जो सियाचिन या ऐसे ही अन्य ऊंचाई वाले स्थानों पर सरहद की रक्षा के लिए हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भी मुस्तैद हैं. देश के यह वह स्थान हैं, जो संवेदनशील तो हैं ही,साथ ही जहां सर्दियों में तापमान माइनस 10 से 45 डिग्री तक पहुंच जाता है.
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