चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव की तबियत में सुधार, रिम्स के डॉक्टर ने कहा- सब कुछ सामान्य
बिहार के चर्चित चारा घोटाले में दोषी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की तबियत में पूरी तरह सुधार है।
रांची:
बिहार के चर्चित चारा घोटाले में दोषी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की तबियत में पूरी तरह सुधार है। रांची के बिरसा मुंडा जेल में 14 साल की सजा काट रहे लालू यादव का तबियत पिछले कई महीनों से खराब थी जिसके लिए उन्हें मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में भी भर्ती कराया गया था। लालू यादव को सीने में दर्द के साथ बेचैनी और चक्कर आने और हीमोग्लोबिन की कमी की भी शिकायत थी।
जून में जमानत मिलने के बाद लालू यादव की तबियत खराब हुई थी, उस दौरान पाया गया था कि उनका शुगर लेवल बढ़ा हुआ है। इसके बाद लालू प्रसाद को पटना के आईजीआइएमएस (इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान) में भर्ती कराने का निर्णय लिया गया था। बाद में उन्हें दिल्ली के एम्स में अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था।
जमानत अवधि खत्म होने के बाद दो दिन पहले ही उन्हें बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार लाया गया था। हालांकि बाद में फिर से उन्हें राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) रांची में इलाज के लिए लाया गया था।
रिम्स के निदेशक डॉ आर के श्रीवास्तव ने कहा, 'लालू प्रसाद यादव की स्थिति बिल्कुल सामान्य है। उनका ब्लड प्रेशर, शुगर, और यूरिक एसिड की समस्या अब गैरमामूली है। उनमें बढ़िया सुधार है।'
Lalu Prasad Yadav's condition is normal. His blood pressure, sugar & uric acid are marginal. He is doing fine: Dr RK Srivastava, Director, Rajendra Institute of Medical Sciences (RIMS), Ranchi #Jharkhand pic.twitter.com/wrjf1cQlFX
— ANI (@ANI) September 1, 2018
झारखंड हाई कोर्ट ने उन्हें 24 अगस्त को 30 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। चारा घोटाला मामले में वह 11 मई से अंतरिम जमानत पर थे। अदालत में आत्मसमर्पण करने के लिए आरजेडी प्रमुख बीते बुधवार देर शाम झारखंड पहुंचे थे।
आत्मसमर्पण से पहले लालू यादव ने कहा था, 'मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है।' जनवरी और मार्च में उन्हें दो और मामलों में दोषी पाया गया था और 14 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। साल 2013 में लालू को पहले चारा घोटाले के मामले में दोषी पाया गया था और पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
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लालू यादव 1990 के दशक में जब बिहार के मुख्यमंत्री थे, उस समय करोड़ों रुपये का चारा घोटाला सुर्खियों में रहा। पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
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