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PoK स्थित शारदा पीठ के तीर्थयात्रा के लिए कश्मीरी पंडितों ने कुंभ मेले में उठाई आवाज

भारत के विभाजन के बाद यह पवित्र स्थल भारतीय सीमा के दूसरी तरफ चला गया था और भारतीय तीर्थयात्रियों के पहुंच से दूर होता चला गया था. आजादी से पहले वे वहां जाते रहते थे.

Updated on: 06 Feb 2019, 08:39 AM

नई दिल्ली:

कश्मीरी पंडितों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) स्थित शारदा पीठ के तीर्थयात्रा के लिए अपनी मांगें तेज कर दी है. प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान कश्मीरी पंडितों का एक समूह इसके लिए आवाज उठा रहा है. 'सेव शारदा कमेटी कश्मीर' नाम के इस संगठन ने कुंभ मेले में इस मांग को लगातार दोहरा रही है. बता दें कि शारदा पीठ पीओके के शारदा गांव में स्थित एक प्राचीन हिदू मंदिर है. कश्मीरी पंडित शारदा पीठ को एक महत्वपूर्ण स्थल मानते हैं क्योंकि माना जाता है कि यहां भगवान शिव का निवास है.

संगठन के संस्थापक रविंदर पंडित ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'चुंकि प्राचीन शारदा पीओके में स्थित है, इसलिए हम भारत और पाकिस्तान सरकार से मांग कर रहे हैं कि जो वहां जाना चाहते हैं उन्हें वीजा जारी किया जाय. शारदा पीठ एक प्राचीन धार्मिक स्थल है जहां सबसे पुराना अध्ययन केंद्र है और इसकी अपनी भाषा और संस्कृति है.'

रविंदर ने कहा कि भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार को इसके बारे में लिखा भी है. उन्होंने कहा, 'सभी प्रमुख पुजारियों ने पीओके अधिकारियों से मांग की है और हमनें उन्हें कहा कि मंदिर की संरचना का देखरेख करें.'

नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित शारदा पीठ एक परित्यक्त मंदिर है जो पीओके के शारदा गांव में नीलम घाटी में स्थित है. भारत के विभाजन के बाद यह पवित्र स्थल भारतीय सीमा के दूसरी तरफ चला गया था और भारतीय तीर्थयात्रियों के पहुंच से दूर होता चला गया था. आजादी से पहले वे वहां जाते रहते थे.

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इससे पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शारदा पीठ तक करतारपुर कॉरिडोर की तरह ही एक कॉरिडोर विकसित करने की मांग की थी.

उन्होंने कहा था कि कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल होने के अलावा, शारदा पीठ जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ऐतिहासिक रूप से ज्ञान और सीखने का गढ़ रहा है. उन्होंने कहा था, 'करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत को कश्मीरी पंडित समुदाय शारदा पीठ तक तीर्थाटन करने की संभावना के तौर पर देख रहे हैं.'

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बता दें कि पिछले साल करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने के फैसले के बाद 26 नवंबर को भारत की तरफ से और 28 नवंबर को पाकिस्तान की तरफ से इस गलियारे की आधारशिला रखी गई थी.

यह गलियारा अगले कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा. जिससे सिख श्रद्धालुओं को 2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती पर पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन का मौका मिलेगा.