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कुलभूषण जाधव: पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट में दिया 'विरोधाभासी' बयान

कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट में पाकिस्तान की दलील पर भारत ने कहा है कि उसकी दलील विरोधाभासी और असंगतियों से भरी है।

Updated on: 17 May 2017, 08:09 AM

highlights

  • आईसीजे में पाकिस्तान की दलील पर भारत ने कहा, उसकी दलील विरोधाभासी
  • पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को सुनाई है फांसी की सजा 

नई दिल्ली:

कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में पाकिस्तान की दलील पर भारत ने कहा है कि उसकी दलील विरोधाभासी और असंगतियों से भरी है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबरों के मुताबिक, राजनयिक पहुंच को लेकर पाकिस्तान ने कहा कि वियना संधि किसी देश के जासूस की दूसरे देश में गिरफ्तारी की सूरत में नहीं लागू होती।

उसकी इस दलील को भारत का पक्ष रख रहे हरीश साल्वे ने विरोधाभासी बताया क्योंकि पाकिस्तान ने राजनयिक पहुंच के लिए इस मामले को एक दूसरे मामले से जोड़कर शर्तें रखी थी जबकि दोनों मामलों का आपस में कोई संबंध नहीं था।

सूत्र ने बताया कि जब भारत ने आशंका जाहिर की कि ट्रायल के दौरान ही जाधव को फांसी दी जा सकती है तो पाकिस्तान ने कहा कि उसके कानून के तहत मौत की सजा पाए किसी शख्स को 150 दिनों का वक्त मिलता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के मुताबिक, 'साल्वे ने इस ओर ध्यान दिलाया कि एक तरफ तो पाकिस्तान जाधव को मिली 'क्षमा अवधि' के कानूनी प्रावधानों की जिक्र कर रहा है तो दूसरी तरफ यह भी कह रहा है कि वह दूसरे देश के कथित जासूसों को सख्त सजा देगा।'

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पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में हवाला दिया कि कुलभूषण जाधव की भारतीय नागरिकता के पुष्ट-प्रमाण नहीं होना भी राजनयिक पहुंच न देने का एक कारण है। जिसपर हरीश साल्वे ने पूछा कि जाधव की पहचान और नागरिकता पर कन्फ्यूजन कैसे हो सकता है। कुलभूषण जाधव भारतीय नागरिक है।

आपको बता दें की कुलभूषण जाधव के मसले पर सोमवार को भारत और पाकिस्तान ने दलील रखी थी। भारत ने अदालत से अपील की कि वह जाधव की मौत की सजा को तत्काल रद्द करे। जाधव पाकिस्तान में सैन्य अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा का सामना कर रहे हैं।

भारत की तरफ से प्रख्यात वकील हरीश साल्वे ने पक्ष रखा और मांग की कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की मौत की सजा को पाकिस्तान रद्द करे और वह इस पर गौर करे कि उन्हें फांसी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उनके मामले की सुनवाई विएना संधि का उल्लंघन करते हुए 'हास्यास्पद' तरीके से की गई है।

आईसीजे ने भारत की एक याचिका पर पिछले सप्ताह जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी। पाकिस्तान के साथ किसी मुद्दे को लेकर भारत 46 वर्षो बाद अंतर्राष्ट्रीय अदालत पहुंचा है।

एक साल पहले गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पिछले महीने मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने कहा है कि जाधव का अपहरण किया गया और उनपर बेबुनियाद आरोप लगाए गए।

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भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान करने के लिए पाकिस्तान से 16 बार अनुरोध किया, लेकिन हर बार इस्लामाबाद ने इनकार कर दिया। भारत को यह तक पता नहीं है कि उन्हें पाकिस्तान में किस जेल में रखा गया है।

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