logo-image

अयोध्‍या केस में जानें अब तक मुस्‍लिम और हिंदू पक्ष की दलीलें, देखें किसकी दलील में कितना दम

17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया जाएगा. आइए जानें अबतक क्‍या हुआ..

नई दिल्‍ली:

अयोध्‍या केस की सुनवाई अब अपने अंतिम चरण में है. सोमवार को अयोध्या केस में सुनवाई का 38वां दिन है. तय शेड्यूल के मुताबिक आज मुस्लिम पक्ष के पास अपनी बात रखने का अंतिम मौका था. इसके बाद मंगलवार और बुधवार को हिंदू पक्ष को जवाब देने का आखिरी मौका मिलेगा और 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया जाएगा. आइए जानें अबतक क्‍या हुआ..

पहला दिनः 6 अगस्त

निर्मोही अखाड़े की दलील. सबसे पहले निर्मोही अखाड़े ने दलीलें पेश करना शुरू किया. दावा किया कि 1934 से किसी भी मुस्लिम को विवादित ढांचे में प्रवेश नहीं मिला है.

दूसरा दिनः 7 अगस्त

आस्था ही प्रमाण. रामलला विराजमान ने कहा, भक्तों की अटूट आस्था प्रमाण है कि विवादित स्थल ही राम का जन्मस्थान है.

तीसरा दिनः 8 अगस्त

जन्मस्थान वादी हो सकता है? कोर्ट ने रामलला विराजमान के वकील से पूछा कि देवता के जन्मस्थान को मामले में कानूनी व्यक्ति के तौर पर माना जा सकता है? वकील ने कहा, जन्मस्थली कानूनी व्यक्ति की तरह है, वह वादी हो सकता है.

चौथा दिनः 9 अगस्त

रोज सुनवाई में मदद मुश्किल. मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा, यह संभव नहीं है कि हफ्ते में रोज कोर्ट का सहयोग करें.

पांचवां दिनः 13 अगस्त

कोर्ट ने पूछा, जमीन पर आपका हक मुस्लिम पक्षकार के साथ साझा है, तब एकाधिकार कैसे? रामलला विराजमान ने कहा, जमीन कुछ समय के लिए बोर्ड के पास जाने से वह मालिक नहीं हो जाता.

छठा दिनः 14 अगस्त

वेद-पुराण का हवाला दिया. रामलला विराजमान की तरफ से ऐतिहासिक किताबों, विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों और वेद एवं स्कंद पुराण की दलीलें कोर्ट में पेश की गईं.

सातवां दिनः 16 अगस्त

एएसआई रिपोर्ट का दिया हवाला. रामलला विराजमान के वकील ने एएसआई की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि जिस जगह मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे मंदिर का बहुत बड़ा ढांचा था. कोर्ट ने सवाल किया था कि मस्जिद के नीचे जो ढांचा था वह धार्मिक स्ट्रक्चर ही था, इसे साबित करें.

आठवां दिनः 20 अगस्त

हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र. रामलला विराजमान के वकील ने इलाहाबाद सीएस वैद्यनाथ मामले में हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, जज ने खुद लिखा है कि भगवान राम का मंदिर ढहाकर मस्जिद बनाई गई.

नौवां दिनः 21 अगस्त

मंदिर अपने आप में भगवान. रामलला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, कोई भी महज मस्जिद जैसा ढांचा खड़ा कर इस पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता. विवादित भूमि पर मुस्लिम पक्ष व निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज

सुनवाई का 10 वां दिन--22 अगस्त

  • गोपाल सिंह विशारद की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने अपनी दलीलें शुरू की.उन्होंने कहा मैं उपासक हूं और मुझे विवादित स्थल पर उपासना का अधिकार है.यह अधिकार मुझसे छीना नहीं जा सकता. भगवान राम का उपासक होने के नाते मेरा मेरा वहां पर पूजा करने का अधिकार है.यह मेरा सामाजिक अधिकार है, जिसे हटाया नहीं जा सकता.ये वो जगह है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था. 
  • (80 साल के अब्दुल गनी की गवाही का हवाला देते हुए) गनी ने कहा था बाबरी मस्जिद जन्मस्थान पर बनी है ब्रिटिश राज में मस्जिद में सिर्फ जुमे की नमाज होती थी.हिन्दू भी वहां पर पूजा करने आते थे.मस्जिद गिरने के बाद मुस्लिम ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया लेकिन हिंदुओं ने जन्मस्थान पर पूजा जारी रखी.
  • रंजीत कुमार:ने कहा दस्तावेज बताते हैं कि 1858 से पूजा होती रही है.हिंदुत्व और हिंदू में पूजा का अधिकार मिला हुआ है.इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में ये बात मानी है कि हिंदू 100 साल से वहां पूजा करते रहे हैं.यानी पूजा लगातार होती रही है और तमाम दस्तावेज ये बात साबित करते हैं.जो हलफनामे पेश किए गए हैं उससे साबित होता है कि 1934 के बाद वहां नमाज नहीं पढ़ी गई.

सुनवाई का 11 वां दिन--23 अगस्त

  • निर्मोही अखाड़े की ओर से दलील रख रहे सुशील जैन ने कोर्ट से कहा कि वो विवादित ज़मीन पर मालिकाना हक़ का दावा नहीं कर रहे, सिर्फ पूजा-प्रबन्धन और कब्जे का अधिकार मांग रहे है. अयोध्या बहुत बड़ा है, पर प्रभु राम की तस्वीर सिर्फ रामजन्म भुमि में स्थापित की गई थी.
  • सुशील जैन ने कहा कि मेरे सेवादार के अधिकार को छीन कर मुझसे कब्जा लिया गया. सुशील जैन ने ये भी कहा कि रामलला की ओर से जो निकट सहयोगी देवकी नंदन अग्रवाल बनाये गए है, मैं उन्हें नहीं मानता. वो तो पुजारी भी नहीं है.
  • इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि जब आप किसी देवता के सेवादार/पुजारी के नाते अपना अधिकार मांगते है तो आप फिर उस देवता ( रामलला विराजमान) की ओर से दायर अर्जी का विरोध कैसे कर सकते हैं.मान लीजिए कि देवता( रामलला) की याचिका खारिज हो गई तो फिर तो अपने आप ही सेवादार होने का आपका दावा भी खारिज हो जाएगा.
  • सुशील जैन ने कहा, मैं रामलला और रामजन्मस्थान की याचिका के खिलाफ नहीं हूँ. मेरी दलील है कि देवकीनंदन अग्रवाल निकट मित्र की हैसियत नहीं रखते. सुशील जैन ने ये भी दावा किया सिर्फ निर्मोही अखाड़े का नाम नाम गैजेटियर और ऐतिहासिक दस्तावेजो में अंकित है. सिर्फ मैं ही हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर सकता हूँ. जस्टिस बोबडे के पूछने पर सुशील जैन ने अदालत में वो बयान भी पढ़े जिनसे साबित हो कि निर्मोही अखाड़े के मंदिर के प्रबंधन पर कब्जा रहा है.

सुनवाई का 12 वां दिन--26 अगस्त

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की 12वें दिन सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील कुमार जैन ने दलीलें पेश कीं.उन्होंने कहा कि हम देव स्थान का मैनेजमेंट करते हैं और पूजा का अधिकार चाहते हैं.जन्मस्थान पर अधिकार न तो देवता के नेक्स्ट फ्रेंड को दिया जा सकता है न ही पुजारी को.यह केवल जन्मस्थान का मैनेजमेंट करने वाले को दिया जा सकता है और निर्मोही अखाड़ा जन्मस्थान का मैनेजमेंट देखता है.

सुनवाई का 13 वां दिन--27 अगस्त

  • 13वें दिन की सुनवाई में निर्मोही अखाड़ा ने कहा, 1855 से पहले यहां कभी नहीं पढ़ी गई नमाज...उनकी तरफ से वकील सुशील जैन दलीलें दे रहे थे.इसके बाद कोर्ट ने हिंदू पक्ष की दलीलें सुनीं.
  • निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि विवादित ढांचे में मुस्लिम ने 1934 के बाद से कभी नमाज नहीं पढ़ी है.ये मंदिर ही था जिसकी देखरेख निर्मोही अखाड़ा करता था.उन्होंने आगे कहा कि पूरा का पूरा ढांचा जमीन से घिरा हुआ है और हिंदू देवता वहां थे.मुस्लिम ने स्वीकार भी किया था कि 1855 से पहले वहां नमाज पढ़े जाने का साक्ष्य नहीं है.

सुनवाई का 14 वां दिन - 28 अगस्त

अयोध्या मामले में 14वें दिन कोर्ट बाबरी मस्जिद के निर्माण पर बहस हुईवकील पीएन मिश्रा ने कहा कि बाबरी मस्जिद बाबर नहीं, औरंगजेब ने बनवाई, मिश्रा ने बाबरनामा, तुजुके जहांगीरी और आईने अकबरी का हवाला दिया

सुनवाई के दौरान श्रीराम जन्मभूमि पुनरुत्थान समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा ने दलीलें देते हुए इस बात का खंडन किया कि मस्जिद बाबर ने बनवाई. 

पीएन मिश्रा ने सुनवाई की शुरुआत में बाबरनामा के अंश पढ़ते हुए कहा कि कोई भी ऐतिहासिक दस्तावेज़ नहीं हैं जो ये बताएं कि जन्मभूमि पर विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) 520 AD में बना था. मिश्रा ने बाबरनामा यानी बाबर की रोजनामचा डायरी का हवाला देते हुए कहा कि उसमें मीर बाकी के बारे में जिक्र तक नहीं है. बाकी बेग तशकन्दी और बाकी बेग का जिक्र है. बाकी तशकन्दी 1529 में ताशकन्द से (अयोध्या) बाबर से मिलने आया था. मिश्रा ने तर्क देते हुए कहा कि मंदिर बाबर ने नहीं, औरंगजेब ने तोड़ा था. मीर बाकी जैसा कोई शख्स था ही नहीं.

सुनवाई का 15वां दिन - 29 अगस्त

श्री रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पी.एन. मिश्रा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि कोर्ट ने माना था कि मुस्लिम इस बाबत कोई सबूत पेश नहीं कर पाए कि मस्जिद बाबर ने बनवाई या औरंगजेब ने. उन्होंने कहा कि इससे जुड़ा कोई सबूत नहीं है कि 1528 में मस्जिद का निर्माण किया गया और न ही इस बात के सबूत हैं कि इसका निर्माण बाबर ने ही कराया था. वकील पी.एन. मिश्रा ने अपनी दलील में कहा कि हाई कोर्ट ने फैसले में माना था कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को नष्ट करके किया गया था. बाबर के कहने पर मीर बाकी ने मस्जिद बनवाया था.

सुनवाई का 16वां दिन - 30 अगस्त

रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील की दलील पूरी.हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट में कहा कि ये जगह शुरू से हिंदुओं के अधिकार में रही है. आज़ादी के बाद भी हमारे अधिकार भी सीमित क्यों रहें? क्योंकि 1528 से 1885 तक कहीं भी और कभी भी मुसलमानों का यहां कोई दावा नहीं था.

सुनवाई का 17 वां दिन -- 2 सितम्बर

सुनवाई के 17वें दिन मुस्लिम पक्षों ने मस्जिद पर हमले का जिक्र किया.कहा गया कि हिन्दुओं ने 1934 में बाबरी मस्जिद पर हमला किया, फिर 1949 में अवैध घुसपैठ की और 1992 में इसे तोड़ दिया और अब कह रहे हैं कि संबंधित जमीन पर उनके अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए.

सुनवाई का 18वां दिन - 4 सितम्बर

मुस्लिम पक्षकारों ने मंगलवार को दावा किया कि 22-23 दिसंबर की रात अयोध्या में बाबरी मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखने के लिए सुनियोजित और नजर बचा के हमला किया गया जिसमें कुछ अधिकारियों की हिंदुओं के साथ मिलीभगत थी और उन्होंने प्रतिमाओं को हटाने से इनकार कर दिया.

सुनवाई 19वां दिन - 5 सितम्बर

मुस्लिम पक्षकारों ने दलील दी कि लगातार नमाज ना पढ़ने और मूर्तियां रख देने से मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाए जा सकते.मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह सही है कि विवादित ढांचे का बाहरी अहाता शुरू से निर्मोही अखाड़े के कब्जे में रहा है.झगड़ा आंतरिक हिस्से को लेकर है जिस पर कब्जा किया गया, लेकिन अदालत में किए गए उनके दावों में यह नहीं है.हम प्रतिकूल कब्जा मांग रहे हैं.

सुनवाई का 20 वां दिन - 6 सितम्बर

अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में 20वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहा है.लेकिन अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन में था और राम चबूतरा बाहरी आंगन में है जिसे राम जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है.मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष धवन ने निर्मोही अखाड़े के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला दिया.उन्होंने कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को दिसंबर 1949 में विवादित ढांचे के बीच वाले गुंबद के नीचे रखा गया था.

सुनवाई का 21 वां दिन - 11 सितम्बर

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने अपना पक्ष रखा.मुस्लिम पक्ष ने कहा- हिंदू पक्ष के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं. राजीव धवन ने दलील दी कि 22 दिसंबर 1949 को जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता.क्या हिंदू पक्षकार गलती को लगातार जारी रखने के आधार पर अपने मालिकाना हक का दावा कर सकते हैं?

सुनवाई का 22वां दिन - 12 सितम्बर

सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा है कि उन्हें फेसबुक पर धमकी मिली है, लेकिन उन्हें फिलहाल सुरक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है.सीजेआई बोले- ऐसे कृत्य नहीं होने चाहिए

सुनवाई का 23 वां दिन - 14 सितम्बर

मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मस्जिद होने की बात मानी थी.1885 और1949 में दायर अपनी याचिकाओं में उसने मस्जिद का जिक्र किया था.मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष जिलानी ने कहा, 1885 में निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसमें विवादित जमीन की पश्चिमी सीमा पर एक मस्जिद होने की बात कही गई थी.

सुनवाई का 24 वां दिन - 16 सितम्बर

मुस्लिम पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से राजीव धवन ने कहा की हिंदू पक्षकारों ने पूरे इलाके पर दावा कर दिया है.मेरी दलील है कि जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति नहीं हैं.दुर्भाग्य से हाई कोर्ट जन्मस्थान वाली दलील में कूद पड़ा था.यहां भी जन्मस्थान वाली दलील में सुप्रीम कोर्ट पड़ गया है.इस मामले में हिंदू पक्षकार (राम लला विराजमान) की तरफ से आस्था व विश्वास के साथ-साथ जन्मस्थान और जन्मभूमि को लेकर दलील दी गई है.अगर हम इसे मूर्ति मानते हैं तो केस को आसानी से निपटाया जा सकता है.लेकिन अगर इसे जन्मभूमि माना जाता है तो फिर कोई कानूनी उपचार ही नहीं बच पाएगा.

सुनवाई का 25 वां दिन- - 17 सितम्बर

सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति की तरह पेश किए जाने का विरोध किया. उन्होंने कहा, "किसी जगह की परिक्रमा होने के चलते पूरी जगह को पूजास्थल मान लेना गलत है. इस तरह से ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोर्ट मामले में कोई दखल ही न दे सके. पूरी ज़मीन को पूजास्थल बताना, उसे देवता या न्यायिक व्यक्ति साबित करना सही नहीं है. देवता का विभाजन कोर्ट भी नहीं कर सकता. यही कोशिश की जा रही है."

सुनवाई का 26 वां दिन - 18 सितम्बर

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी करें ताकि जजों को फैसला लिखने के लिए 4 हफ्ते का वक्त मिले, इसके लिए सभी को मिलकर सहयोग करना चाहिए.जरूरत पड़ी तो कोर्ट सुनवाई का वक्त एक घंटा बढ़ा सकती है, हम शनिवार को भी सुनवाई के लिए तैयार हैं.कोर्ट ने कहा- पक्षकार मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझा सकते हैं, सुनवाई जारी रहेगी

सुनवाई का 27 वां दिन - 19 सितम्बर

सुनवाई के 27वें दिन गर्मागर्म बहस हुई. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विवादित इमारत की मुख्य गुंबद के नीचे गर्भ गृह होने के दावे को बाद में गढ़ा गया बताया. इस पर जजों ने उनसे कुछ सवाल किए. धवन ने सवाल कर रहे जज के लहजे को आक्रामक बता दिया. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगी.

सुनवाई का 28 वां दिन- 20 सितम्बर

सुनवाई के 28वें दिन सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने बाबर की आत्मकथा बाबरनामा के अलग-अलग संस्करणों का कोर्ट में ज़िक्र किया और कहा, "हर संस्करण में साफ तौर पर यह दर्ज है कि बाबर के हुक्म से अयोध्या में मस्जिद तामीर की गई थी." धवन ने यह भी कहा कि इमारत पर अरबी और फारसी भाषा में कई बातें लिखी थी. इससे भी साबित होता है कि वह इमारत हिंदू मंदिर नहीं थी.

सुनवाई का 29 वां दिन - 23 सितम्बर

मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा, 1528 में बनाई गई मस्जिदमस्जिद में 1528 से 22 दिसंबर 1949 तक लगातार नमाज पढ़ी गई.. कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि पौने पांच सौ साल पहले 1528 में मस्जिद बनाई गई थी और 22 दिसंबर 1949 तक लगातार नमाज हुई. तब तक वहां अंदर कोई मूर्ति नहीं थी. एक बार मस्जिद हो गई तो हमेशा मस्जिद ही रहेगी.

सुनवाई का 30वां दिन- 24 सितम्बर

मुस्लिम पक्ष के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि रामचरित मानस की रचना मस्जिद बनने के करीब 70 साल बाद हुई लेकिन कहीं ये जिक्र नहीं कि राम जन्मस्थान वहां है, जहां मस्जिद है. यानी जन्मस्थान को लेकर हिंदुओं की आस्था भी बाद में बदल गई. इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई या पहले कभी मंदिर था उस जगह मस्जिद बनाई या खाली जगह पर मस्जिद बंसी? इस सवाल पर जिलानी बोले कि बाबर ने खाली प्लॉट पर मस्जिद बनाई थी. अगर पहले मंदिर रहा होगा तो बाबर को इसकी जानकारी ना हो.

सुनवाई का 31वां दिन- 25 सितम्बर

मुस्लिम पक्ष की ओर से जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह रामचबूतरे को भगवान राम का जन्मस्थान नहीं मानते हैं. ये हमने स्वीकार नहीं किया है, बल्कि हिंदुओं का विश्वास है. हमने सिर्फ 1886 में दिया गया कोर्ट का आदेश आपके सामने रखा था.

सुनवाई का 32वां दिन

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है.चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 18 अक्टूबर को बाद किसी भी तरह की काई भी जिरह नहीं होगी.

अयोध्या केस का 33वां दिन

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दोहराया है कि मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक खत्म होनी चाहिए. मुस्लिम पक्ष की ओर से ASI की रिपोर्ट पर बहस कर रहीं मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि पुरातत्व विभाग (ASI) की रिपोर्ट में कहीं पर भी राम मंदिर का स्थान नहीं बताया गया है, जबकि राम चबूतरे को वाटर टैंक बताया गया है.

अयोध्या केस 34 वां दिन

मुस्लिम पक्षकार के वकील शेखर नाफडे ने कहा कि वहां मस्जिद थी और उस पर कोई विवाद नहीं हो सकता क्योंकि उस पर किसी दूसरे पक्ष का कोई पहले दावा नहीं था.मस्जिद की मौजूदगी को स्वीकारा जा चुका है और उसे साबित करने की जरूरत नहीं है.राम चबूतरे पर छोटी सी मंदिर थी.बाकी पूरा इलाका मस्जिद का था और उस पर दूसरे पक्षकार का दावा नहीं था.वह उस एरिया को मस्जिद के तौर पर स्वीकार करते थे.इस बात को साबित करने की जरूरत नहीं है.जूडिशियल कमिश्नर की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है.अब हिंदू अपने दावे के क्षेत्र को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

सुनवाई का 35वां दिन

रामलला के वकील के परासरन ने दलील दी कि जन्म स्थान पर मनाया जाए राम का जन्मदिन, रामजन्म भूमि को एक न्यायिक व्यक्ति के तौर पर देखा जाए.  मुस्लिम पक्ष के वकील राजिव धवन ने कहा पहले ये साबित करें की वहां मंदिर था और लोग पूजा करते थे.

सुनवाई का 36वां दिन - 3 अक्टूबर

निर्मोही अखाड़ा बोला- अब सुनवाई 20-20 की तरह, खफा SC ने पूछा- क्या पहले टेस्ट था? 

सुनवाई का 37 वां दिन—4 OCTOBER

पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनने के लिए 18 अक्टूबर तक की तारीख तय की थी, लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर तक मामले की बहस पूरी करने का निर्देश दिया है. मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने अदालत में अपनी दलीलें रखीं. SC में मुस्लिम पक्ष बोला- बाबर नहीं था विध्वंसक, मीर बाकी ने बनाई मस्जिद