logo-image

Bakrid 2019: बकरीद पर दी जाती है बकरे की कुर्बानी, जानिए क्या है वजह

इस्लामिक कैलेंडर में 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को यह त्योहार मनाया जाता है.

Updated on: 10 Aug 2019, 06:17 AM

highlights

  • 12 अगस्त को मनाई जाएगी बकरीद
  • इस्लाम में कुर्बानी का त्योहार है बकरीद
  • रमजान के 70वें दिन मनाई जाती है बकरीद

नई दिल्ली:

भारत में सोमवार के दिन 12 अगस्‍त को बकरा ईद (Bakra Eid), बकरीद (Bakrid), ईद-उल-अजहा (Eid Al Adha) या ईद-उल जुहा (Eid Ul Adha) ने नाम से जाना जाने वाला त्योहार मनाया जाएगा. इस्लामिक कैलेंडर में 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को यह त्योहार मनाया जाता है. रमजान के पवित्र महीने के खत्‍म होने के लगभग 70 दिनों के बाद बकरीद का त्योहार आता है. इस्लाम धर्म में बकरीद के त्‍योहार कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है. मुस्लिम धर्म के लोग इस दिन बकरे की कुर्बानी देकर इस पर्व को मनाते हैं.

क्यों मनाते हैं बकरीद का पर्व
इस्‍लाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद के त्योहार का विशेष महत्‍व है. इस्‍लामिक कहानियों के मुताबिक हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को बकरीद के दिन ही खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे. तब अल्लाह ने उनके इस जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को दोबारा जीवित कर दिया था. इसके मुताबिक आप अपने जीवन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हो उसकी कुर्बानी देनी होती थी. इस वजह से हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे तो इस कुर्बानी के लिए चुना था. यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की जगह जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया था.

इस वजह से दी जाती है कुर्बानी
जब हजरत इब्राहिम अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे तब उनको लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने बेटे की कुर्बानी देने से पहले अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. आंखों पर पट्टी बांधकर जब हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी दे दी और उसके बाद जब उन्होंने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा देखा और एक जानवर कुर्बानी देने वाली जगह पर पड़ा हुआ था.

बकरीद को क्यों कहते हैं कुर्बानी का त्योहार
इस्लाम में बकरीद के त्योहार को फर्ज-ए-कुर्बान के नाम से भी जाना जाता है. इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं. ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं.