CAA के खिलााफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, कहा- ये धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत का उल्लंघन
बता दें, सीएए को लेकर तमाम विपक्षी दल इस वक्त केंद्र को घेरने में लगे हुए हैं. इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी साफ कह चुकी हैं कि वो सीएए के पूरी तरीके से खिलाफ हैं.
नई दिल्ली:
सीएए को लेकर देशभर में चले प्रदर्शन के बाद अब केरल सरकार ने भी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. केरल सरकार का कहना है कि ये एक्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत का उल्लंघन है. इस याचिका में सीएए को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. मामले की सुनवाई 22 जनवरी को होगी.
Kerala government moves Supreme Court against #CitizenshipAmendmentAct, says, Act is violative of Articles 14, 21 and 25 of the Constitution of India as well as against the basic principle of secularism. https://t.co/FJqNm4UIBr
— ANI (@ANI) January 14, 2020
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बता दें, सीएए को लेकर तमाम विपक्षी दल इस वक्त केंद्र को घेरने में लगे हुए हैं. इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी साफ कह चुकी हैं कि वो सीएए के पूरी तरीके से खिलाफ हैं. वहीं दूसरी तरफ पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act 2019) शुक्रवार से लागू हो चुका है. इसे लेकर मोदी सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. बता दें कि देश में कई जगहों पर सीएए (CAA) को लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है तो वहीं नागरिकता कानून पर देश के कई इलाकों में हिंसा देखने को मिली है.
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सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में लिखा गया है कि केंद्रीय सरकार, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (2019 का 47) की धारा 1 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए 10 जनवरी 2020 को उस तारीख के रूप में नियत करती है, जिसको उक्त अधिनियम के उपबंध प्रवृत होंगे.
जानें क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
केंद्र सरकार नागरिकता अधिनियम, 1955 में बदलाव करने के लिए नागरिकता संशोधन बिल लेकर आई. संसद में बिल को पास करवाया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया. सरकार ने अब इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इसके साथ ही अब पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी. हालांकि, अभी तक उन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था.
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