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Mahatma Gandhi Death Anniversary: फोन की घंटी बजी और पता चला 'नहीं रहे महात्मा गांधी', इस पत्रकार ने साझां की अपनी यादें

एक पूर्व पत्रकार वॉल्टर अल्फ्रेड (Walter Alfred) ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत के दिन की यादें सांझा की है.

Updated on: 30 Jan 2020, 11:30 AM

नई दिल्ली:

Mahatma Gandhi Death Anniversary: पूरी दुनिया आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (Mahatma Gandhi) 30 जनवरी पर शोक मना रही है. इसके पहले 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर एक पूर्व पत्रकार वॉल्टर अल्फ्रेड (Walter Alfred) ने राष्ट्रपिता गांधी के हत्याकांड पर अपनी रिपोर्टिंग की यादें साझा की थीं. उन्होंने बताया था कि उस दुखद शाम वो नागपुर कार्यालय में थे. जब नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला भवन में गांधी जी के सीने में तीन गोलियां उतार दी थीं.

पिछले महीने 99 साल के हुए अल्फ्रेड के जहन में उस हत्याकांड की रिपोर्टिंग का पूरा वाकया आज भी जस का तस है. अल्फ्रेड ने याद किया, '30 जनवरी, 1948 हम सभी के लिए एक रूखा दिन था...मैंने शाम तक कुछ स्टोरी फाइल की होती. शाम करीब साढ़े छह-सात बजे के बीच दफ्तर के फोन की घंटी बजी और उस वक्त मुझे महात्मा गांधी की हत्या के बारे में पता चला.' उनके सहयोगी पोंकशे ने मुंबई से उन्हें महात्मा गांधी पर हुए जानलेवा हमले की जानकारी दी जब वह सांध्यकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे. अल्फ्रेड ने बताया कि उन्होंने अपना आत्मसंयम बनाए रखा.

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अल्फ्रेड ने कहा, 'मैंने पोंकशे की तरफ से दी गई संक्षिप्त जानकारी के आधार पर शुरुआती कॉपियां टाइप करनी शुरू कर दी. दफ्तर में उस वक्त दो चपरासी मौजूद थे जो ये कॉपियां लेकर एक अंग्रेजी समाचारपत्र समेत छह स्थानीय सब्सक्राइबरों तक पहुंचे क्योंकि उस वक्त टेलिप्रिंटर नहीं था.'

अल्फ्रेड ने बताया, 'यह शुद्ध और संक्षिप्त कॉपी लिखने के मेरे कौशल का परीक्षण था क्योंकि मुझे गांधी जी की हत्या के संबंध में आ रहे प्रत्येक फोन कॉल का जवाब देना था, नई जानकारियों को लिखना था, छह सब्सक्राइबरों के लिए एक कॉपी बनानी थी और चपरासियों को इन कॉपियों को उन तक पहुंचाने के लिए भेजना था.’

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अल्फ्रेड ने कहा कि उस दिन भावुक होने का समय नहीं था. यह पूछने पर कि हत्या की खबरों ने क्या उन्हें गांधी से हुई उनकी पूर्व मुलाकातों की याद दिलाई, अल्फ्रेड ने कहा, 'मेरे पास उन सारी यादों के लिए वक्त नहीं था. मेरा ध्यान सिर्फ टेलिफोन पर मिली रही जानकारियों को लिखने और उसकी कॉपी बनाने पर था. इनमें नाथूराम गोडसे की गिरफ्तारी और आरएसएस से उसके कथित संबंध के ब्यौरे भी शामिल थे.' नागपुर में पीटीआई का दफ्तर उस वक्त बना ही था और टेलिप्रिंटर जैसे उपकरण लगाए जाने बाकी थे. अल्फ्रेड समाचार एजेंसी पीटीआई के पूर्व पत्रकार हैं.